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13 नवंबर से इन 4 राशि वालों का बदल जाएगा भाग्य, मंगल देव देंगे कष्ट ही कष्ट
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना गया है। मंगल किसी जातक के जन्म कुंडली में तीसरे, छठवें और दशम भाव के कारक माने गए हैं। मंगल को लग्न व अष्टम भाव का स्वामी माना गया है। मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक को साहस, पराक्रम व ऊर्जा की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 नवंबर को मंगल वक्री अवस्था में वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल ग्रह के गोचर से चार राशि वालों के कष्ट बढ़ सकते हैं।
मेष- मंगल मेष राशि के जातकों के लिए लग्न के साथ ही अष्टम भाव के स्वामी होते हैं। मंगल इस राशि के दूसरे यानी वाणी और कुटुंब भाव में गोचर करेंगे। गोचर काल में आपकी वाणी में कड़वाहट आ सकती है। इस दौरान परिवार के साथ विवाद हो सकता है। अचानक धन हानि हो सकती है।
मिथुन- मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल लाभ और ऋण भाव यानी 11वें और छठवें भाव के स्वामी माने गए हैं। मंगल वक्री अवस्था में आपकी राशि के तीसरे, छठवें और सप्तम भाव में गोचर करेंगे। इस समय आपका भाई के साथ विवाद होने की आशंका है। जीवनसाथी की भावनाओं को नजरअंदाज न करें। निवेश के लिए समय अनुकूल नहीं है।
तुला- तुला राशि वालों के लिए मंगल सप्तम और द्वितीय भाव के स्वामी होकर अष्टम भाव में वक्री होकर प्रवेश करेंगे। मंगल की आपकी राशि में पूर्ण दृष्टि 11वें, दूसरे और तीसरे भाव में रहने वाली है। गोचर काल में आपको अचानक कोई हानि होने की आशंका है। इस दौरान किसी पर जल्दी भरोसा न करें।
मकर- मकर राशि के जातकों के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी माने गए हैं। मंगल आपके पंचम भाव में गोचर करेंगे। मंगल की दृष्टि आपकी राशि के अष्टम, ग्यारहवें और बारहवें भाव में होगी। इस दौरान आपको संतान की ओर से कष्ट मिल सकता है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें।