धर्म-अध्यात्म

मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आज करें भगवान विष्णु की इस विधि से करें पूजा-अर्चना

Kajal Dubey
28 Jan 2022 1:35 AM GMT
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आज करें भगवान विष्णु की इस विधि से करें पूजा-अर्चना
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षटतिला एकादशी का व्रत आज 28 जनवरी दिन शुक्रवार ​को है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। षटतिला एकादशी का व्रत आज 28 जनवरी दिन शुक्रवार ​को है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान​ विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं. उनकी कृपा से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य, धन, संपत्ति सबकुछ प्राप्त हो जाता है. उनके ही आशीर्वाद से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी की व्रत एवं पूजा विधि (Puja Vidhi) के बारे में.

षटतिला एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
1. षटतिला एकादशी का व्रत रखने से एक दिन पूर्व से आप सात्विक भोजन ग्रहण करें. मांसाहार और ​मदिरा का त्याग करें. तामसिक प्रवृत्ति और ऐसे भोजन से दूर रहें.
2. व्रत में आपके संयम की भी परीक्षा होती है, इसलिए आपके संयमित रहें. मन, वचन औा कर्म से शुद्ध रहें.
3. षटतिला एकादशी के दिन बाल्टी में पानी भरकर उसमें काला तिल डालकर स्नान करें. उसके बाद साफ वस्त्र पहनें.
4. अब आप षटतिला एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें.
5. फिर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक कराएं. उसके बाद उनको चंदन, फूल, वस्त्र, अक्षत्, फल, रोली, तुलसी का पत्ता, धूप, दीप, गंध, केला आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें.
6. अब विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. फिर षटतिला एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें. उसके बाद भगवान विष्णु की आरती कपूर या घी के दीपक से करें.
7. षटतिला एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु को काले तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं. स्वयं भी फलाहार में तिल से बनी वस्तुओं का सेवन करें.
8. दिनभर भगवान विष्णु की स्मरण करें. भगवत भजन करें. उसके बाद रात्रि में भगवत जागरण करें.
9. अगले दिन प्रात: स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. गरीब या किसी ब्राह्मण को सूर्योदय के बाद दान करें.
10. दान करने के बाद पारण करें और व्रत को पूरा करें. द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व ही पारण कर लेना चाहिए.


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