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गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने अपनाएं ये पूजा विधि
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है यही वजह है कि इस दिन को गुरुवार कहा जाता है. सनातन संस्कृति में जिस तरह हर देव के पूजा की एक खास विधि तय है उसी तरह सप्ताह के सात दिन भी किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित किए गए हैं. धार्मिक मान्यता है कि दिन विशेष के अनुसार देवताओं की पूजा करने से उस पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है. दिन के कारक देवता निश्चित दिन पर पूजा करने से जल्द प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट दूर कर उसका जीवन सुख,शांति एवं समृद्धि से भर देते हैं. गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा विधिपूर्वक करने से भी व्यक्ति की किस्मत खुल जाती है.
वैदिक ज्योतिष में हफ्ते का हर दिन एक निश्चित ग्रह के आधार पर माना गया है. उस ग्रह के देव ही उस दिन के कारक भी माने गए हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि गुरुवार के दिन क्या करना चाहिए और क्या पूजा विधि अपनाना चाहिए.
बृहस्पति देव की पूजा विधि
गुरुवार के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर उस पानी से नहाना चाहिए. इसके बाद माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए. बृहस्पति देव की मूर्ति या तस्वीर को पीले रंग के कपड़े पर विराजित करना चाहिए. ये ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति/तस्वीर जिस जगह पर स्थापित की गई हो वजह जगह साफ सुथरी हो.
इसके बाद विधि-विधान से उनकी पूजा-आरती करना चाहिए. पूजा में पीले फूल, केसरिया चंदन, प्रसाद के तौर पर गुड़ और चने की दाल का भोग अवश्य लगाना चाहिए. यही ऐसा न कर सकें तो कोई भी पीले रंग का पकवान चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा केले के वृक्ष में जल अर्पित करने के साथ ही उसकी धूप-दीप से पूजा करना चाहिए.
गुरुवार के दिन न करें ये काम
– गुरुवार के दिन हेयर कटिंग या शेविंग नहीं करवाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख में बाधा पैदा होती है.
– इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए.
– गुरुवार का दिन दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य दिशा में यात्रा करने के लिए वर्जित माना जाता है.
– इस दिन कपड़े धोना और घर का पोछा लगाना भी वर्जित माना गया है.
इस तरह करें देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न
– गुरुवार को विष्णु भगवान का विधि-विधान से पूजन करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं.
– इस दिन ब्राह्मणों का आदर-सत्कार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
– गुरुवार को केसर और चने की दाल का मंदिर में दान करें.
– योग्य व्यक्तियों को गुरुवार के दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों का दान करना चाहिए. यही वजह है कि इस दिन को गुरुवार कहा जाता है. सनातन संस्कृति में जिस तरह हर देव के पूजा की एक खास विधि तय है उसी तरह सप्ताह के सात दिन भी किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित किए गए हैं. धार्मिक मान्यता है कि दिन विशेष के अनुसार देवताओं की पूजा करने से उस पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है. दिन के कारक देवता निश्चित दिन पर पूजा करने से जल्द प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट दूर कर उसका जीवन सुख,शांति एवं समृद्धि से भर देते हैं. गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा विधिपूर्वक करने से भी व्यक्ति की किस्मत खुल जाती है.
बृहस्पति देव की पूजा विधि