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मकान हो या दूकान सभी जगह पंचतत्त्वों की उपस्थिति होती है। पंचतत्त्वों का स्थान विशेष में सामंजस्य ही तो वास्तु विज्ञान है । अत: स्पष्ट है कि वास्तु के सिद्धांत सिर्फ घर को ही नहीं अपितु दुकान आदि को भी प्रभावित करते हैं। दुकान में भी वास्तु का विशेष महत्व है। यदि आपकी दुकान वास्तु सम्मत है तो हर दृष्टि से शुभ परिणाम देता है। वर्तनाम युग में सभी व्यक्ति वास्तु को महत्व देने लगे हैं लेकिन उसका कैसे पालन किया जाना चाहिए इसका उन्हें ध्यान कम रह पाता है। दुकानों के नियमों का यदि पालन किया जाए तो उससे आपको लाभ निश्चित ही प्राप्त होंगे। आइए जानें कुछ खास बातें।
* दुकान या शोरूम का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो दुकान का मुख पश्चिम दिशा की ओर भी किया जाता जा सकता है।
* यदि मेज कुर्सी पर बैठना हो तो दक्षिण-पश्चिम मे लगाकर उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मूंह करके बैठना चाहिए। मेज कुर्सी ईशान्य अथवा आग्नेय कोण में भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए।
* दुकान का कचरा साफ करते समय कचरा सड़क पर न डालें, न ही इसे किसी दुकान की ओर डालें। यह बरकत में कमी लाता है। उसे अपनी दुकान के निश्चित कोने दक्षिण-पश्चिम के कोने की कचरा पेटी में डालें, पश्चात उसे अधिक होने पर नगर-निगम के कूड़े के क्षेत्र में डलवाएं।
* घर या दुकान के आस-पास नाला अथवा बोरिंग है तो घर की उत्तर पूर्व दिशा में गणेश जी का चित्र अथवा प्रतिमा लगाएं।
* दुकान में माल का स्टोर, या कोई भी वैसा सामान जिसका वजन ज्यादा हो उसे नैऋत्य कोण (दक्षिण या पश्चिम) में रखना चाहिए।पूजा के लिए मंदिर ईशान, उत्तर या पूर्व में बनाएं।
* गल्ले, तिजोरी, मालिक या मैनेजर की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय में रोड़ा बन सकता है।
* भोजन बनाने, बना हुआ भोजन रखने या गर्म करने का हिटर दक्षिण-पूर्व के कोने में रखना उचित माना जाता है।
* दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता है।
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