धर्म-अध्यात्म

बुधवार के दिन इन नियमों का करे पालन, घर में आएगी सुख-शांति दूर होगी दरिद्रता

Teja
20 April 2022 4:47 AM GMT
बुधवार के दिन इन नियमों का करे पालन, घर में आएगी सुख-शांति  दूर होगी दरिद्रता
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सप्ताह का प्रत्येक वार किसी भगवान को समर्पित (Budhwar Vrat) होता है. बुधवार को भगवान गणेश जी का दिन माना जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सप्ताह का प्रत्येक वार किसी भगवान को समर्पित (Budhwar Vrat) होता है. बुधवार को भगवान गणेश जी का दिन माना जाता है और इस​ दिन उनका विधि-विधान से पूजन किया जाता है. इसके अलावा बुधवार को बुध ग्रह के नाम से भी जाता है और कहते हैं कि यदि घर में कलेश या परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो बुध ग्रह के पूजन से राहत मिलती है. (Budhwar Ke Upay) इस दिन व्रत किया जाता है और यह व्रत ग्रह का अशुभ प्रभाव दूर करने (Lord Ganesha) के साथ ही धन लाभ होता है. लेकिन ध्यान रखें बुधवार के व्रत में कुछ नियमों का (Budhwar Vrat ke Niyam) पालन जरूर करना चाहिए.

बुधवार व्रत के नियम
यदि आप बुधवार को व्रत करने के बारे में सोच रहे हैं तो बता दें कि यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू किया जा सकता है. ध्यान रखें कि किसी भी व्रत की शुरुआत हमेशा कृष्ण पक्ष से की जाती है.
बुधवार व्रत की संख्या 21 या 41 होती है. ऐसे में व्रत शुरू करते समय आप जल हाथ में लेकर अपने व्रत की संख्या तय करें. इस व्रत में नमक खाना वर्जित है. यानि इसमें आपको मीठा या फीका भोजन करना होगा.
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर पूजा घर में बुध यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें.
इस दिन भोजन के रूप में मूंग की दाल की पंजीरी या हलवा का भोग लगाकर उसके प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है. इसके बाद शाम को व्रती स्वंय यह प्रसाद लेकर व्रत खोलता है.
लेकिन ध्यान रखें कि भोजन का सेवन करने से पहले दान करें और इस दिन बुध संबंधी वस्तुओं को दान किया जाता है.
व्रत में भोजन ग्रहण करने से पहले हरी इलायची और कपूर मिश्रित जल से बुध देवता को अर्घ्य दें.
व्रत के दिन बुध मंत्र 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:' का 9,000 बार या 5 माला जप करें.
अंतिम व्रत के दिन मस्तक पर सफेद चंदन, हरी इलायची घिसकर लगाएं. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.
अंतिम बुधवार के दिन बुध मंत्र से हवन करके पूर्णाहुति देकर ब्राह्मणों को मीठा भोजन कराएं और दान दें. तभी व्रत का उद्यापन पूरा माना जाता है.

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