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मृत्यु जीवन का सत्य है, जिसे कोई नहीं टाल सकता. जब कोई जीव शरीर धारण करके इस संसार में आता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मृत्यु जीवन का सत्य है, जिसे कोई नहीं टाल सकता. जब कोई जीव शरीर धारण करके इस संसार में आता है, उस समय ही वो अपने साथ मृत्यु की तिथि और समय भी लेकर आता है, जिसका उसे ताउम्र कोई ज्ञान नहीं हो पाता. भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने गीता में कहा है कि एक शरीर समाप्त होने के बाद आत्मा नए शरीर को धारण करती है. जीवन और मरण का चक्कर तब तक चलता रहता है, जब तक आत्मा परमात्मा के चरणों में विलीन नहीं हो जाती. जब कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है और उसकी आत्मा शरीर छोड़ती है तो उस शरीर से उसका मोह जल्द समाप्त नहीं होता है. ऐसे में उसके मोह को समाप्त करने के लिए अंतिम संस्कार करते समय कुछ नियम बनाए गए है. आइए आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में जिनका जिक्र गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में भी किया गया है.
चिता की परिक्रमा
हिंदू धर्म में जब किसी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है, तो उसकी चिता की परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा के दौरान मटके में छेद करके उसमें जल भरकर परिक्रमा की जाती है और आखिर में मटके को फोड़ दिया जाता है. इस प्रक्रिया में परिक्रमामृत व्यक्ति के प्रति आपकी श्रद्धा का प्रतीक है, वहीं मटके को फोड़ने का मतलब उस आत्मा को मोह भंग करने का इशारा देता है. ताकि आत्मा सत्य से वाकिफ हो सके.
इन चीजों का दान जरूरी
मृत्यु के समय आत्मा के साथ सिर्फ उसके कर्म ही साथ जाते हैं इसलिए मृत्यु से पहले व्यक्ति को तिल, लोहा, सोना, रूई, नमक, सात प्रकार के अन्न, भूमि, गौ, जलपात्र और पादुकाएं दान करने की बात कही गई है. माना जाता है कि दान की गईं ये चीजें यममार्ग में उसे प्राप्त होती हैं. मृतक के परिजन चाहें तो मृत्यु के बाद भी मृतक के नाम से ये चीजें दान कर सकते हैं. ऐसा करने से यममार्ग में आत्मा को कष्ट नहीं उठाना पड़ता.
शवदाह के बाद क्यों नहीं देखते पीछे मुड़कर
गरुड़ पुराण के मुताबिक शवदाह के बाद भी आत्मा का मोह भंग नहीं होता. वो किसी न किसी शरीर में प्रवेश करने का पूरा प्रयास करती है. इसलिए उसके शव को जलाकर नष्ट किया जाता है और इस प्रक्रिया के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा जाता, ताकि आत्मा को ये संदेश जाए कि उसके अपने अब उससे मोह भंग कर चुके हैं. अब आत्मा को भी अपनी राह पर आगे बढ़ना चाहिए.
ब्रह्मचारी के शव को मिलना चाहिए इनका कंधा
गरुड़ पुराण के मुताबिक जो व्यक्ति ब्रह्मचारी हो, उसे माता पिता और गुरुजनों के अलावा किसी और को कंधा नहीं देना चाहिए. इससे ब्रह्मचर्य भंग होता है. शवदाह से पहले शरीर को गंगा जल से स्नान कराना चाहिए और चंदन, घी व तिल के तेल का लेप करना चाहिए.
घर लौटने के बाद नीम या मिर्च चबाएं
शवदाह करने के बाद घर में घुसने से पहले मिर्च या नीम को दांतों से चबाकर तोड़ देना चाहिए और हाथ पैरों को पानी से धोना चाहिए. इसके बाद लोहा, जल, अग्नि और पत्थर का स्पर्श करके घर में प्रवेश करना चाहिए. परिजनों को मृतक के निमित्त 11 दिनों तक घर के बाहर शाम के समय दीप दान करना चाहिए.
Tara Tandi
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