धर्म-अध्यात्म

जीवन में सुख-सौभाग्य और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की पूजा से जुड़ी पांच जरूरी बातें

Bhumika Sahu
27 Feb 2022 6:15 AM GMT
जीवन में सुख-सौभाग्य और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की पूजा से जुड़ी पांच जरूरी बातें
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सनातन परंपरा में ​जिस पंचदेव की पूजा अत्यंत जरूरी मानी गई है, उनमें भगवान श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु के साथ प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव भी शामिल हैं. जीवन में सुख-सौभाग्य और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की पूजा से जुड़ी पांच जरूरी बातें जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में पंचदेव में से एक भगवान सूर्य (Lord Sun) की साधना-आराधना अत्यंत ही शुभ और शीघ्र फलदायी मानी गई है. सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनके दर्शन पूरी दुनिया के लोगों को प्रतिदिन प्रत्यक्ष रूप से होते हैं. सूर्यदेव की पूजा का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही ज्योतिषीय महत्व भी है, क्योंकि ज्योतिष (Astrology) में सूर्य को नवग्रह का राजा माना गया है. जिनका किसी भी जातक की कुंडली में मजबूत होना उसके लिए सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य का कारक होता है. सूर्य की शुभता किसी भी जातक को राजसी सुख प्रदान करते हुए जीवन में भरपूर मान-सम्मान दिलाती है लेकिन इसके विपरीत कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर उसे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आइए भगवान भास्कर की साधना (Lord Sun Worship) से जुड़ी वो पांच जरूरी बातें जानते हैं, जिन्हें अपनाने से हमें शीघ्र ही सूर्य कृपा प्राप्त होती है.

भगवान सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ भगवान भास्कर को तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर कर उसमें रोली, अक्षत और लाल पुष्प डालकर 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र जपते हुए सूर्यदेव को जल दें. सूर्यदेव को जल कभी भी किसी ऐसी जगह पर न दें जहां पर वह किसी के पैरों के नीचे आए. इससे बचने के लिए सूर्यदेव को जल देते समय नीचे एक चौड़े मुंह वाला बर्तन रख लें और फिर उस पूजा के जल को किसी पौधे पर चढ़ा दें.
भगवान सूर्य की साधना में मंत्रों का बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसे में प्रतिदिन सूर्यदेव को जल देने के बाद उन्हें प्रणाम करते हुए सूर्यमंत्र, गायत्री मंत्र और उनकी कृपा दिलाने वाला आदित्य हृदय स्तोत्र का तीन बार पाठ अवश्य करें. इन मंत्रों के जप से आपको शीघ्र ही सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होगी.
सूर्य की साधना-आराधना का जीवन में बहुत महत्व है. इसकी महत्ता को आप ऐसे समझ सकते हैं कि भगवान राम (Lord Ram) प्रतिदिन भगवान सूर्यदेव की साधना-आराधना करते थे क्योंकि वे सूर्यवंशी थे. मान्यता है कि भगवान श्री राम ने सूर्यदेव का ध्यान और मनन करके ही रावण का वध किया था.
भगवान राम की तरह भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के पुत्र सांब ने भी अपनी कुष्ठ रोग की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए सूर्य की विशेष रूप से साधना की थी. जिनकी उपासना से प्रसन्न होकर भगवान सूर्यदेव ने उन्हें आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त किया. जिससे उनका कुष्ठ रोग दूर हो गया था. भगवान सूर्य शक्ति के प्रतीक और विजय के वरदान हैं, इसलिए जिस किसी को भी जीवन में रोग और शत्रुओं पर विजय पानी हो, उसे प्रतिदिन सूर्य की साधना अवश्य करनी चाहिए.
हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता या फिर ग्रह के लिए समर्पित है. रविवार जो कि भगवान सूर्य के नाम पर ही बना है, उनकी साधना-आराधना के लिए अत्यंत ही शुभ माना गया है. ऐस में रविवार के दिन भगवान सूर्य का विधि-विधान से व्रत रखने पर साधक पर शीघ्र ही सूर्य कृपा बरसती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. आप रविवार का व्रत किसी भी महीने के शुक्लपक्ष से प्रारंभ कर सकते हैं.


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