धर्म-अध्यात्म

ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
27 May 2022 3:12 AM GMT
ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित मानी गई है। प्रदोष व्रत का दिन शिव भक्तों के लिए खास होता है। इस दिन मां पार्वती व भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामना पूरी होने की मान्यता है।

हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित मानी गई है। प्रदोष व्रत का दिन शिव भक्तों के लिए खास होता है। इस दिन मां पार्वती व भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामना पूरी होने की मान्यता है। प्रदोष व्रत दिन को पड़ता है, उसे उसी दिन के नाम से जानते हैं। ज्येष्ठ मास का पहला प्रदोष व्रत 27 मई 2022, शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत होगा। इस प्रदोष व्रत के दिन शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व सौभाग्य योग का निर्माण होने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। इस प्रदोष व्रत का पूरा लाभ पाने के लिए भगवान शिव का विधि-विधान के साथ पूजन करें। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मई को सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर आरंभ होगी, जो कि 28 मई 2022 को दोपहर 01 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल का समय 27 मई को शाम 07 बजकर 12 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

शुक्र प्रदोष व्रत महत्व-

शुक्र प्रदोष व्रत को सुख-समृद्धि में वृद्धि करने वाला बताया गया है। यह व्रत वैवाहिक जीवन में आने वाली दिक्कतों को दूर करता है। माता पार्वती व भगवान शंकर की कृपा से दांपत्य जीवन सुखमय होता है।

कहा जाता है कि एक नगर में तीन मित्र रहते थे। राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है। धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया। ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई।


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