धर्म-अध्यात्म

Festivals In August 2021: सावन मास में कई प्रमुख व्रत-त्‍योहार, जानें त‍िथ‍ि और महत्‍व

Deepa Sahu
26 July 2021 9:14 AM GMT
Festivals In August 2021:  सावन मास में कई प्रमुख व्रत-त्‍योहार, जानें त‍िथ‍ि और महत्‍व
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व्रत-त्‍योहार की दृष्टि से अगस्‍त माह व‍िशेष है।

व्रत-त्‍योहार की दृष्टि से अगस्‍त माह व‍िशेष है। एक तो आधे से अध‍िक अगस्‍त तक सावन है। वहीं, इस माह में कई और प्रमुख व्रत-त्‍योहार पड़ रहे हैं। यान‍ि कि पूरा माह ईश्‍वर की आराधना-उपासना में बीतेगा। तो आइए जानते हैं अगस्‍त माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्‍योहारों की तिथ‍ि और उनके महत्‍व के बारे में…

कामिका एकादशी
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस यह एकादशी 4 अगस्त यानी क‍ि बुधवार को पड़ रही है। कामिका एकादशी विष्णु भगवान की अराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। मान्‍यता है क‍ि इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिल जाती है। साथही मनोवांछ‍ित कामनाओं की भी पूर्ति होती है। कामिका एकादशी को श्रीविष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। मान्‍यता है क‍ि इस एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी। जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति म‍िली और मोक्ष की प्राप्ति हुई।
कृष्ण प्रदोष व्रत
प्रत्‍येक महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में 2 प्रदोष पड़ते हैं। सावन के पहले प्रदोष व्रत का धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इस बार सावन मास के कृष्ण पक्ष में 5 अगस्त गुरुवार को पहला गुरु प्रदोष पड़ रहा है। प्रदोष व्रत जिस दिन होता है उसके अनुसार उनका नाम होता है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है साथ ही कृष्‍ण पक्ष में है तो इसल‍िए इसे कृष्‍ण प्रदोष व्रत या फ‍िर गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
सावन शिवरात्रि
धर्मशास्‍त्र में सावन श‍िवरात्रि का व‍िशेष महत्‍व माना गया है। इस बार सावन की शिवरात्रि 6 अगस्‍त शुक्रवार को पड़ रही है। इसका पारण 7 अगस्‍त को क‍िया जाएगा। धर्म शास्‍त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शंकर को जल चढ़ाने से वह काफी प्रसन्‍न होते हैं। साथ ही भक्‍तों की सभी इच्‍छाओं की पूर्ति करते हैं। सावन शिवरात्रि व्रत तिथि : शुक्रवार 6 अगस्त 2021 निशिता काल पूजा मुहूर्त : शनिवार 7 अगस्त 2021 की सुबह 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस बार पूजा की अवधि : केवल 43 मिनट तक ही। सावन शिवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त : शनिवार 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक ही है।
हरियाली तीज
धरती जब हरी चादर ओढ़ लेती है यानी क‍ि हर तरफ हर‍ियाली ही हर‍ियाली होती है तब हर‍ियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 11 अगस्‍त बुधवार को पड़ रही है। इसमें सुहागिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में मेहंदी, नई चूड़ियां और पैरों में आलता लगाती हैं। इसके बाद नए वस्त्र पहनकर सुहाग‍िनें एकत्रित होकर किसी बाग या मंदिर में जाकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहनों से सजाती हैं। इसके बाद अर्द्ध गोले का आकार बनाकर माता की मूर्ति बीच में रखकर पूजा करती हैं। इसके बाद पति का ध्‍यान करते हुए महिलाएं हर‍ियाली तीज की कथा सुनती हैं। कथा के समापन पर सभी अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद सुहागिनें अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। सास न हो तो जेठानी या घर की बुजुर्ग महिला को देती हैं।
नागपंचमी
नागपंचमी का पर्व श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस बार यह तिथ‍ि 13 अगस्‍त शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। इसलिये इस पंचमी को नागपंचमी कहते है। नागपंचमी को नाग पूजा करने वाले व्यक्ति को उस दिन भूमि नहीं खोदते है। इस वृत में चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करने के बाद पंचमी के दिन उपवास करने के बाद शाम को भोजन करते है। इस दिन लोग सोना, चांदी, लकड़ी और मिट्टी की कलम व हल्दी चंदन की स्याही से 5 फन वाले पांच नाग बनाते है। तथा खीर, कमल पंचामृत, धूप, नवैध आदि से नागों की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा के बाद ब्राह्मणों को लड्डू व खीर का भोजन कराते है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत
साल की दो एकादशियों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौष और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशियों को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस बार श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त बुधवार को है। अंग्रेजी कैलंडर के अनुसार वर्तमान में पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसंबर या जनवरी के महीने में पड़ती है जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। यह व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना से रखा जाता है। यही वजह है क‍ि इस व्रत को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
ओणम पर्व
ओणम केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्‍सव है। इस बार यह पर्व 21 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसकी खास बात यह है कि इसे किसी मंदिर विशेष में मनाने की बजाए घरों में मनाया जाता है। यही वजह है कि देश- विदेश से लोग ओणम मनाने के लिए केरल पहुंचते हैं। Onam के मौके पर केरल में पुलिकल्‍ली की अनोखी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। यह केरल की लोक कला है। इसमें सभी पुरुष खुद को शेर और चीते के रंग में रंगते हैं और सड़कों पर डांस करते नजर आते हैं। केरल की इस अनोखी परंपरा को 'प्‍ले ऑफ द टाइगर्स' के नाम से भी जाना जाता है।
रक्षाबंधन
सावन मास की पूर्णिमा पर मनाये जाने वाले त्‍योहार रक्षाबंधन को प्राचीन समय में सावनी उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। धीरे-धीरे वक्‍त बदला और इसका स्‍वरूप भी परिवर्तित हुआ। इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त रव‍िवार को है। पूर्णिमा की तिथि 21 अगस्त की शाम से शुरू हो जाए
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