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धर्म-अध्यात्म
जून माह के व्रत-त्योहार : अपरा एकादशी से लेकर कबीर जयंती तक, जानें व्रत की तिथि और महत्व
Deepa Sahu
31 May 2021 4:46 PM GMT
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जानें, जून माह में पड़ेंगे कितने व्रत-त्योहार
ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो चुकी है। यह 27 मई 25 जून तक रहेगा। इस माह में सूर्य और जल से जुड़े हुए व्रत-त्योहार किए जाते हैं। इस दौरान जहां 10 जून को सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। वहीं 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होगा। इसके अलावा सूर्य और मंगल ग्रह सहित अन्य ग्रहों का राशि परिवर्तन भी हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि इस महीने के प्रमुख व्रत-त्योहार की तिथियां और मुहूर्त…
अपरा/अचला एकादशी (6 जून)
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है। इस बार यह एकादशी 6 जून को है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संसार के पालनकर्ता श्रीहरि जातक के जीवन में आने वाले सभी दु:खों और विघ्नों को दूर कर देते हैं। इस एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, अचला एकादशी, अपरा एकादशी और भद्रकाली एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
वटसावित्री व्रत (9 जून)
वटसावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है। इस बार यह व्रत 9 जून को मनाया जाएगा। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं। साथ ही अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति की कामना करती हैं।
शनि जयंती (10 जून)
कर्मों के न्यायाधीश शनिदेव जी का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को माना गया हे। इस बार यह तिथि 10 जून को पड़ रही है। इस अमावस्या के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना से व्रत-पूजन करती हैं। इसके अलावा इस दिन जातक शनि दोष की शांति के लिए भी कई तरह के उपाय करते हैं।
दुर्गाष्टमी धूमावती जयंती (18 जून)
दस महाविद्याओं में सातवें स्थान पर आने वाले मां धूमावती का प्राकट्य ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की अष्टमी को हुआ था। इस बार दुर्गाष्टमी धूमावती जयंती 18 जून को है। मां के इस रूप को पुरुषशून्या विधवा, अलक्ष्मी जैसे नामों से भी जाना जाता है। धूमावती का निवास ज्येष्ठा 'नक्षत्र' में माना गया है। मां के इस रूप की पूजा सुहागिन स्त्रियां नहीं करतीं।
गंगा दशहरा (20 जून)
गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाने के विधान है। इसकी वजह यह है कि इसी तिथि में गंगा स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आई थीं। तभी से मां गंगा को पूजने की परंपरा शुरू हो गई। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने और दान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी (21 जून)
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है इस व्रत में पानी पीना वर्जित है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते है। इस बार यह एकादशी 21 जून को है।
कबीर जयंती (24 जून)
प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कबीर जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी जयंती 24 जून को है। कबीर का जन्म सन् 1938 में माना जाता है। जब उनका जन्म हुआ था तब हर तरफ पाखंड का बोलबाला था। लेकिन उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लोगों में भक्ति भाव का संचार किया।
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