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धर्म-अध्यात्म
व्यापार में लाभ के लिए करें शुक्रवार व्रत, जानिए महत्व एवं कथा
Triveni
11 Jun 2021 2:39 AM GMT
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शुक्रवार के दिन मां संतोषी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां संतोषी की पूजा पूरी श्रद्धा से करने पर जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| शुक्रवार के दिन मां संतोषी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां संतोषी की पूजा पूरी श्रद्धा से करने पर जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है। शुक्र के दिन वैभव लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। संतोषी माता के व्रत में हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। मां संतोषी के व्रत के दौरान हमें खटाई नहीं खानी चाहिए। इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना होता है। इस दिन हमें खट्टी चीजें नहीं बांटनी चाहिए। माता के व्रत से आपको परीक्षा में सफलता, व्यवसाय में लाभ आदि सुखों की प्राप्ति होती है। मां संतोषी के व्रत की विधि और कथा के बारें में आप यहां जान सकते हैं।
शुक्रवार व्रत विधि
प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मां संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर कलश की स्थापना करना चाहिए, पंरतु ख्याल रहे कि वह कलश तांबे का हो। इसमें गुड़ और चने का प्रसाद बनाना चाहिए। मां संतोषी का विधिवत पूजन करें, कथा सुनें और मां संतोषी की आरती उतारें। फिर जल से भरे पात्र का जल पूरे घर में छिड़कना चाहिए।
शुक्रवार व्रत कथा
एक नगर में एक बुजुर्ग महिला और उसका बेटा रहता करता था। बीतते समय के साथ महिला ने अपने बेटे का विवाह करा दिया। बुजुर्ग महिला अपने बहू से बहुत काम करवाने लगी। वह किसी न किसी बात पर अपने बहू को तंग करने लगी। इतना काम करने के बाद भी महिला अपने बहू को खाना भी नहीं देती थी। पंरतु उनका बेटा यह सब चुपचाप देखता रहता था।
मां और बहू के बीच ऐसे हालत को देखकर लड़का परेशान होकर शहर जाने का निर्णय लिया। शहर जाने से पहले लड़के ने अपनी पत्नी से कुछ निशानी मांग ली। उसकी पत्नी रोते हुए बोली कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ नहीं है। निराश होकर लड़का खाली हाथ ही शहर चला गया।
एक दिन बहू किसी काम से घर के बाहर गई। उसने स्त्रियों को संतोषी माता की पूजा करते हुए देखा। उसने स्त्रियों से व्रत की विधि जानी। बहू ने भी व्रत रखनी शुरु कर दी। जिसके बाद मां की कृपा से उसके पति की चिट्ठी और पैसे आने लगे। उसका जीवन में सुखों का आगमन हो गया। उसने मां संतोषी से पति के वापस आने के बाद उद्यापन करने का संकल्प किया। संतोषी माता की कृपा से पति के आने पर उसने व्रत का उद्यापन किया। उसकी सभी परेशानियां समाप्त हो गईं और उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।
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