धर्म-अध्यात्म

शनि देव के प्रसिद्ध सिद्धपीठ, जानिए इसकी पौराणिक कथाओं

Triveni
3 July 2021 3:04 AM GMT
शनि देव के प्रसिद्ध सिद्धपीठ, जानिए इसकी पौराणिक कथाओं
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव को भगवान शिव की तपस्या से दण्डाधिकारी का पद मिला है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव को भगवान शिव की तपस्या से दण्डाधिकारी का पद मिला है। शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दण्ड का विधान करते हैं। मान्यता है कि शनि देव का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में एक बार अवश्य पड़ता है। तब मनुष्य क्या देवता और असुरों को भी अपने किए हुए गलत कार्यों का परिणाम भुगतना पड़ता है। कई बार शनि देव के दिए हुए ये दण्ड बहुत कठिन और हानिकारक हो जाते हैं। ऐसे में हम आपको आज शनि देव के उन सिद्धपीठों के बारे में बताएंगे, जिनके दर्शन करने मात्र सें शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है।

शनि शिंगणापुर सिद्धपीठ
शनि शिंगणापुर, शनि देव का सबसे प्रसिद्ध सिद्धपीठ है। ये महाराष्ट्र के शिंगणापुर नामक एक गांव में स्थित है। इस गांव में शनि देव का प्रभाव इतना ज्यादा है कि इस गांव में कभी कोई चोरी नहीं होती। अगर कोई बाहरी व्यक्ति आकर यहां चोरी करता है, तो गांव की सीमा पार करने से पहले ही शनि देव उसे दण्डित कर देते हैं, इसलिए सैकड़ों वर्षों से इस गांव में कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगाता है। मान्यता है कि यहां के मंदिर में शनि देव की प्रतिमा का तेल से स्नान कराने से शनि की साढ़ेसाती या महादशा के प्रकोप से बचा जा सकता है। यहां पर शनिदेव खुले आसमान के नीचे एक काली चट्टान के रूप में स्थापित हैं।
शनिश्चरा मन्दिर सिद्धपीठ
शनिश्चरा मंदिर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित शनि देव के पिण्ड को हनुमान जी ने लंका से फेंक कर स्थापित किया था। शनिवार के दिन यहां शनि देव व हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक शनिश्चरी अमावस्या पर यहां मेला लगता है । प्रथा के अनुसार , भक्‍त शनि देव पर तेल चढ़ाकर उनसे गले मिलते हैं। साथ ही अपने कपड़े और जूते आदि वहीं छोड़ कर अपनी समस्त दरिद्रता का त्याग करते हैं।
कोकिला वन सिद्धपीठ
शनि देव का यह सिद्ध पीठ उत्तर प्रदेश में कोसी से 6 किलोमीटर की दूर पर कोकिला वन में स्‍थित है। भागवत् पुराण की कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इस वन में शनि देव को दर्शन दिया था। आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह वन उनका है, जो भी शनि देव का नाम लेकर इस वन की परिक्रमा करेगा, उस पर मेरी कृपा के साथ शनि देव की कृपा भी जरूर होगी। जो भी इस प्रसिद्ध शनि सिद्धपीठ में दर्शन और पूजा पाठ करता है उस पर शनि देव के प्रकोप का कोई बुरा असर नहीं होता है। यहां भी हर शनिवार को मेला लगता है।


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