धर्म-अध्यात्म

फाल्गुन अमावस्या जानें स्नान-दान का मुहूर्त और महत्व

Tara Tandi
10 March 2024 1:53 PM GMT
फाल्गुन अमावस्या जानें स्नान-दान का मुहूर्त और महत्व
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हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। इस समय फाल्गुन माह चल रहा है और इस माह की अमावस्या तिथि 10 मार्च को है। फाल्गुन अमावस्या के दिन गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व होता है। इस दिन लोग स्नान के बाद दान करते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। धार्मिक दृष्टि से जिस तरह से पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार अमावस्या तिथि को भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। अमावस्या तिथि को पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में चलिए जानते हैं फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत नियम
फाल्गुन माह की अमावस्या का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार फाल्गुन अमावस्या तिथि की शुरुआत 9 मार्च 2024 को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 10 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन अमावस्य 10 मार्च को मनाई जाएगी।
स्नान-दान मुहूर्त - सुबह 04.49 से सुबह 05.48
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12.08 से दोपहर 01.55
फाल्गुन अमावस्या पर क्या करें
फाल्गुन अमावस्या को प्रातः जल्दी उठकर किसी नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करें।
स्नान करने के पश्चात सूर्य को जल दें। इसके बाद अपने पितरों को भी जल दें।
फिर व्रत का संकल्प करें।
यदि पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करना चाहते हैं तो वह अनुष्ठान भी संपन्न करें।
जरूरतमंदो और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
इस दिन दान का विशेष महत्व है अपने पितरों को नाम से अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी आदि का दान करें।
किसी गौशाला में गाय के लिए हरा चारा या फिर चारें के लिए धन का दान करें।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
फाल्गुन मास की अमावस्या को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पवित्र नदि में स्नान के बाद पूजन और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए भी यह दिन बहुत उत्तम रहता है। इस दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इससे कालसर्प दोष का निवारण होता है। साथ ही इस दिन पितरों का श्राद्ध कर्म करने के साथ उनके नाम से कुछ दान आदि करने से उनका आशीर्वाद बना रहता है।
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