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गांधारी के शाप के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण का हर एक चीज हो गई थी नष्ट, जानिए पौराणिक कथा
भगवान श्रीकृष्ण के अथक प्रयास के बावजूद कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का भीषण युद्ध हुआ। यह युद्ध अब तक का सबसे भीषण युद्ध था। इस युद्ध में पांडवों को छोड़कर सभी योद्धाओं को वीरगति प्राप्त हुई। भगवान श्रीकृष्ण चाहते थे कि दोनों पक्षों के बीच शांति से समस्या का हल हो जाए, लेकिन उनकी एक नहीं चली। इसके चलते दोनों पक्षों के बीच 18 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ।
इस युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण शोकाकुल गांधारी से शोक व्यक्त करने हस्तिनापुर पहुंचे। उस समय गांधारी अपने पुत्रों को कफ़न में लिपटा देख शोक संताप कर रही थी। भगवान श्रीकृष्ण ने आदर और सम्मान पूर्वक गांधारी को प्रणाम किया। तभी भगवान श्रीकृष्ण को देख गांधारी क्रोधित हो उठी।
विलाप करते गांधारी बोली- यह सब तुम्हारा किया है। तुम चाहते तो युद्ध को टाला जा सकता था, लेकिन तुमने ऐसा चाहकर भी नहीं किया। इसका परिणाम सामने है। समस्त कौरवों का सर्वनाश हो गया। मैं क्या समस्त लोक तुम्हें माफ़ नहीं करेगा। इस कृत्य के लिए केवल तुम जिम्मेवार हो। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण ध्यान से गांधारी की बातों को सुनते रहें।
इसके बाद गांधारी ने दुखी मन से श्रीकृष्ण को शाप दिए कि जिस तरह कौरवों का नाश हुआ है। ठीक उसी तरह तुम्हारे वंश का भी सर्वनाश होगा। तुम लाख चाहकर भी यदुवंशियों के सर्वनाश को टाल नहीं पाओगे। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि अगर आप ऐसा चाहती हैं कि यदुवंशी का सर्वनाश हो जाए और यह कहने से आपके मन को शांति मिलती है, तो ऐसा ही होगा। यह कहकर भगवान ने गांधारी को प्रणाम किया और वहां से द्वारिका चले आए। कालांतर में गांधारी के शाप के 36 वर्षों के पश्चात भगवान श्रीकृष्ण का हर एक चीज नष्ट हो गई थी। स्वंय भगवान श्रीकृष्ण की भी मृत्यु यदुवंशियों के चलते हुई। ऐसा कहा जाता है कि द्वारिका नगरी भी समुद्र में समा गई।