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धर्म-अध्यात्म
हर साल मकर संक्रांति पर इस मंदिर में होता है अद्भुत चमत्कार, घी चढ़ाते ही बन जाता है मक्खन
Tulsi Rao
11 Jan 2022 5:07 AM GMT
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हर साल मकर संक्रांति के दिन ऐसी घटना होती है, जो आश्चर्य से भर देती है. इस घटना को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत कई रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिरों का घर है. कुछ मंदिरों से तो ऐसे रहस्य जुड़े हुए हैं, जो आज भी अनसुलझे हैं. ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर कर्नाटक राज्य में भी है. यहां की राजधानी बेंगलुरु में गवी गंगाधरेश्वर मंदिर है, जिसमें हर साल मकर संक्रांति के दिन ऐसी घटना होती है, जो आश्चर्य से भर देती है. इस घटना को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
होता है गजब का चमत्कार
9वीं शताब्दी में कैम्पे गौड़ा द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था और फिर16वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया. इस मंदिर की खास बात है कि यहां मौजूद शिवलिंग स्वयंभू है यानी कि इसे किसी ने बनाया नहीं है. मान्यता है कि यह शिवलिंग खुद प्रकट हुआ है. हर साल मकर संक्रान्ति के मौके पर इस मंदिर में अद्भुत घटना देखने को मिलती है. इस दिन सूर्य देवता इस शिवलिंग का अपनी किरणों से अभिषेक करते हैं. जबकि साल के बाकी दिनों तक इस शिवलिंग पर सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं.
पूरे साल में केवल मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब केवल 5 से 8 मिनट के लिए सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुंचती है और शिवलिंग का अभिषेक करती हैं. आमतौर पर यह नजारा सूर्यास्त के समय देखने को मिलता है. यह नजारा इतना अद्भुत और खूबसूरत होता है कि इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
मंदिर का वास्तु है बेहद खास
इस मंदिर का वास्तु बेहद खास है. यह मंदिर दक्षिण-पश्चिमी दिशा अर्थात नैऋत्य कोण की तरफ है. साथ ही इसे इस तरह बनाया गया है कि साल में केवल एक बार ही सूर्य की किरणें शिवलिंग तक पहुंच पाती हैं. इससे पता चलता है कि इस मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले वास्तुविद नक्षत्र विज्ञान के ज्ञानी थे.
घी से बनता है मक्खन
इस मंदिर की एक खास बात और है कि जब इस शिवलिंग पर घी चढ़ाया जाता है तो वह मक्खन बन जाता है, जबकि आमतौर पर हमेशा मक्खन से घी बनाया जाता है. घी से मक्खन कभी नहीं बनता है.
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