- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- हर मनोकामना पूरी होगी...
धर्म-अध्यात्म
हर मनोकामना पूरी होगी गुप्त नवरात्रि पर जरूर करें शक्ति की साधना
Tara Tandi
9 July 2021 6:40 AM GMT
x
सभी प्रकार की गुप्त साधना को करने के लिए गुप्त नवरात्रि अति उत्तम मानी गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सभी प्रकार की गुप्त साधना को करने के लिए गुप्त नवरात्रि अति उत्तम मानी गई है। इसी गुप्त नवरात्रि में महासरस्वती की साधना भी विशेष रूप से की जाती है। इन नवरात्रों में शाकंभरी पूजन का भी विधान है। इस साल गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई 2021 से शुरू होकर 18 जुलाई 2021 तक मनाई जायेगी।
गुप्त नवरात्रि में भगवती की साधना का महत्व
आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि मनाए जाने का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है। जिसमें क्या मानव, पशु-पक्षी आदि भी तमाम तरह के रोग से पीड़ित हो जाते हैं। ऐसे में इस पावन नवरात्रि में तमाम रोगों से मुक्ति के लिए शक्ति की विशेष साधना की जाती है। चूंकि हमारा देश कृषि प्रधान है, ऐसे में बहुत हद तक हम सभी वर्षा पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ, हवन, मंत्र जाप आदि विशेष रूप से किया जाता है। शैव एवं शाक्त परंपरा के लिए भी गुप्त नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी गयी है।
गुप्त नवरात्रि के पूजन का शुभ मुहूर्त-
11 जुलाई 2021 यानि रविवार के दिन गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए घटस्थापना की जाएगी। घट स्थापना के लिए इस दिन सुबह 09:08 से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक और दोपहर 12:05 से लेकर 12:59 बजे का समय शुभ रहेगा। 17 जुलाई को अष्टमी और 18 जुलाई को नवमी पड़ेगी।
साल में चार बार मनाई जाती है नवरात्रि
शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि के नौ दिन बहुत अहम माने गये हैं। माता को समर्पित नवरात्रि एक साल में चार बार आती हैा
1. चैत्र नवरात्रि अथवा बासंतीय नवरात्रि
2. आषाढ़ अथवा वर्षाकालीन नवरात्रि
3. आश्विन नवरात्रि अथवा शारदीय नवरात्रि
4. माघ नवरात्रिअथवा शिशिर नवरात्रि
प्रत्येक ऋतु में पड़ने वाली नवरात्रि में शक्ति की पूजा का नौ दिन की विशेष पूजा का विधान है। इन सभी चारों नवरात्रों को दो वर्गों में बांटा गया है। जिनमें से चैत्र एवं अश्विन नवरात्रि प्रकट नवरात्रि होते हैं, जबकि आषाढ़ एवं माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
कैसे करें शक्ति की साधना
गुप्त नवरात्रि में शक्ति की साधना करने के लिए सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के पश्चात् शुद्ध मन से माता की साधना का संकल्प करें। माता की सभी पूजन सामग्री लेकर विधि-विधान से कलश स्थापित करें और मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोएं। जिसे प्रतिदिन शुद्ध जल से सींचते रहें। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक सच्चे मन से साधना करने के पश्चात् अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें हलवा-पूड़ी खिलाएं। इसके पश्चात् गुप्त नवरात्रि के आखिर दिन विधि-विधान से माता को विदा करें।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Next Story