धर्म-अध्यात्म

विवाह में आ रही हर बाधा होगी दूर, करें ये उपाय

Apurva Srivastav
8 April 2024 3:16 AM GMT
विवाह में आ रही हर बाधा होगी दूर, करें ये उपाय
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नई दिल्ली : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को जरूर समर्पित होता है। इसी तरह आज सोमवार है और सोमवार का दिन देवों के लिए महादेव को समर्पित होता है। भगवान भोलेनाथ को सोमवार का दिन अत्यंत प्रिय है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अति उत्तम माना जाता है। शिव पुराण में भी सोमवार व्रत के बारे में वर्णन किया गया है। सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर देना करने और व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है, विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है। इस दिन उनकी पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी शिव स्तुति के बारे में बताएंगे, जिसका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनचाही मुरादें पूरी होती हैं।
शिव स्तुति मंत्र
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।
इस स्तुति का पाठ कैसे करें
1. सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल छिड़कें।
3. भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
4. दीप, धूप, नैवेद्य और फूल अर्पित करें।
5. इसके बाद शांत बैठकर इस स्तुति का 11 बार, 21 बार या 108 बार पाठ करें।
6. पाठ करते समय ध्यान कायम रखें और भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाएं।
इस स्तुति का पाठ करने के क्या लाभ है
भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनचाही मुरादें पूरी करते हैं। सभी संकट दूर होते हैं। सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। भगवान शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
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