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धर्म-अध्यात्म
श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है हर छठ, जानिए पूजा विधि और इस खास दिन के बारे में
Gulabi
27 Aug 2021 1:16 PM GMT
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हर छठ एक हिंदू त्योहार है जो श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है
हर छठ एक हिंदू त्योहार है जो श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है. इसे राजस्थान में चंद्र षष्ठी, गुजरात में रंधन छठ, ब्रज में बलदेव छठ के नाम से जाना जाता है. महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और समृद्धि के लिए और पुरुष बच्चे के आशीर्वाद के लिए भी व्रत रखती हैं.
किसान समुदाय खेती के पवित्र उपकरण जैसे मूसल और फावड़ा की पूजा करते हैं जिनका उपयोग भगवान बलराम ने किया था. वो भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करते हैं. ये त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी (छठे दिन) को मनाया जाता है. इस साल ये 28 अगस्त 2021 को पड़ रहा है.
हर छठ : तिथि और समय
षष्ठी 27 अगस्त, 2021 को सायं 6:49 बजे शुरू होगी
षष्ठी 28 अगस्त, 2021 को रात 8:57 बजे समाप्त होगी
हर छठ : महत्व
य् त्यौहार भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है. बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है, जो भगवान विष्णु से जुड़े हैं. बलराम ने कृषि उपकरण हल को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, इसका किसानों और खेती के साथ एक मजबूत संबंध है, इसलिए हर छठ किसानों द्वारा बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
हर छठ : लीजेंड
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के दौरान अर्जुन की पत्नी उत्तरा के गर्भ में बच्चे की हत्या कर दी गई थी. भगवान कृष्ण के सलाह पर ही, उन्होंने भक्ति के साथ षष्ठी व्रत का पालन किया. वो अपने नष्ट हुए गर्भ को बचा सकती थी. इसलिए माना जाता है कि ये व्रत संतान के लिए किया जाता है.
हर छठ : पूजा अनुष्ठान
– अनुष्ठान मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है.
– वो जल्दी स्नान कर ललही छठ पूजा की तैयारी करते हैं.
– पूजा स्थल की साफ-सफाई कर गाय का गोबर लगाया जाता है.
– एक छोटा कुआं तैयार कर सात दानों का मेल सातव्य से किया जाता है.
– बलराम का शस्त्र हल है, इसलिए भूसे, घास के तने और पलाश से सदृश संरचना बनाकर उनकी पूजा की जाती है.
– महिलाएं सख्त व्रत रखती हैं. खेत में बोया गया खाना नहीं खाया जाता, सिर्फ पशर चावल ही खाते हैं.
– प्रत्येक बच्चे के लिए अनाज से भरे छह छोटे मिट्टी के बर्तनों को पूजा स्थल पर रखकर पूजा की जाती है.
– वो हल षष्ठी व्रत कथा का पाठ करते हैं.
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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