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धर्म-अध्यात्म
बगैर कुंडली देखे भी जान सकते हैं ग्रहों से जुड़े दोष, ये अशुभ ग्रहों के लक्षण
Rani Sahu
4 Jan 2022 11:21 AM GMT

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ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली के 12 खानों में स्थित नवग्रह उस पर आजीवन असर डालते हैं
ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली के 12 खानों में स्थित नवग्रह उस पर आजीवन असर डालते हैं. ग्रहों की बदलती स्थिति के चलते उनके शुभ या अशुभ प्रभाव कभी भी किसी पर आ सकते हैं. कहते हैं कि बुरे दिन कभी भी किसी से पूछकर नहीं आते हैं, लेकिन किस ग्रह के कारण आपको तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं उसके बारे में आप जरूर पता लगा सकते हैं. उसे जानकार उस ग्रह से संबंधित उपाय कर सकते हैं. कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति पर ग्रहों की खराब दशा आती है तो अरबपति आदमी भी खाकपति हो जाता है. अच्छा खासा पहलवान व्यक्ति कमजोर हो जाता है. बरहाल किसी भी ग्रह विशेष से संबंधित खराब दशा को तमाम संकेतों से जान सकते हैं. आइए ग्रहों की अशुभता के लक्षण के बारे में जानते हैं.
सूर्य की अशुभता के लक्षण
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सूर्य ग्रह के अशुभ होने पर व्यक्ति का अपने पिता के साथ झगड़ा होने लगता है और वह अपने ही पिता का विरोध करना शुरु कर देता है. सूर्य की अशुभता के चलते पिता को कष्ट होता है. व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास में कमी आती है, मानहानि, सत्तापक्ष से कष्ट, हृदय रोग, पित्त रोग, नेत्र पीड़ा, चर्मरोग, अस्थि रोग आदि समस्याएं होती हैं.
चंद्रमा की अशुभता के लक्षण
कुंडली में चंद्रमा के अशुभ या फिर कहें कमजोर होने पर व्यक्ति मानसिक से रूप से परेशान रहता है. उसे तमाम तरह की चिंताएं घेरे रहती हैं. व्यक्ति को निद्रा रोग, रक्त विकार, कफ की बीमारी, सर्दी-जुकाम, चिंता, श्वसन संबंधी दिक्कतें, मतिभ्रम आदि दिक्कत बनी रहती है. यदि आपकी मां की तबीयत हमेशा खराब रहे तो यह आपकी कुंडली में अशुभ चंद्रमा की निशानी है.
मंगल की अशुभता के लक्षण
किसी जातक की कुंडली में मंगल के अशुभ या कमजोर होने पर उसे अपने भाईयों से विरोध झेलना पड़ता है. उसे अचल सम्पत्ति, जमीन आदि से जुड़े विवाद को झेलना पड़ता है. अशुभ मंगल ग्रह के कारण संपत्ति को आग या चोर से भय बना रहता है. मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति अभिमान और क्रोध की अधिकता रहती है. अस्थि मज्जा की बीमारियां, शरीर में जलन, अल्सर, फोड़े फुन्सी आदि रोग होते हैं.
बुध की अशुभता के लक्षण
बुध के अशुभ होने पर व्यक्ति को वाणी दोष होता है. कुंडली में बुध की अशुभता कॅरिअर-कारोबार में मनचाही सफलता में व्यवधान लाती है. व्यापार में घाटा होने लगता है. व्यक्ति को चर्मरोग की शिकायत रहने लगती है और उसकी तर्क शक्ति क्षीण हो जाती है. अशुभ बुध पक्षाघात, दाद, खुजली, नपुंसकता, गूंगापन, गले में खराबी, आदि लेकर आता है.
बृहस्पति की अशुभता के लक्षण
बृहस्पति के अशुभ होने पर कन्या के विवाह में दिक्कतें आती हैं. उसके मान-सम्माम में कमी आती है. कमजोर एवं पीड़ित बृहस्पति के कारण सौभाग्य और सेहत प्रभावित होता है. व्यक्ति को पाचन तन्त्र में खराबी, पीलिया, गुर्दा आदि से सम्बन्धित बीमारी होती है. उसे अपयश, कलंक, असफलता, वियोग, आदि झेलना पड़ता है.
शुक्र की अशुभता के लक्षण
शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में कष्ट होता है. उसे प्रेम संबंधों में असफलता का सामना करना पड़ता है या फिर प्रेम संबंधों में तमाम तरह की बाधाएं आती हैं. व्यक्ति को जननेन्द्रियों से जुड़े रोग होते हैं. शुक्र की अशुभता के चलते व्यक्ति का शरीर कान्ति हीन हो जाता है. शुक्र के दोष के कारण व्यक्ति व्यभिचारी होता है. इसी प्रकार स्त्रियां परपुरुष संग संबंध बनाती हैं.
शनि की अशुभता के लक्षण
कुंडली में शनि संबंधी दोष होने पर व्यक्ति को पेट में गैस से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. उसे हर समय पेट संबंधी कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है. शनिदोष के चलते जातक को तमाम तरह के शारीरिक कष्ट, पारिवारिक कलह, सम्पत्ति नाश, रोग व्याधि, अपमान, राजकीय कोप, आदि का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति में आलस्य आता है और वह गलत कार्यों में लिप्त होने लगता है.
राहु की अशुभता के लक्षण
मान्यता है कि जब कुंडली में राहु अशुभ फल देने लगता है तो व्यक्ति को कार्यों में असफलता मिलने लगती है. उसका मन न तो किसी कार्य में और न ही पूजा-पाठ में लगता है. उसे तमाम तरह की चिंताएं और लोगों से धोखा खाने की चिंता घेरने लगती हैं. व्यक्ति को सन्तानहीनता, राजदण्ड, कारावास, शत्रु, चोर, चोट-चपेट आदि का भय बना रहता है.
केतु की अशुभता के लक्षण
केतु के अशुभ होने पर व्यक्ति शारीरिक क्षति होती है. व्यक्ति की लोगों से अचानक झगड़े, दुश्मनी आदि होने लगती है. केतु के दोष के कारण व्यक्ति को अपने नौकरों से ही कष्ट होने और शत्रुओं से खतरा बना रहता है. व्यक्ति गलत कार्यों के प्रति लिप्त होने लगता है. उसे जननेंद्रिय रोग घेरने लगते हैं.
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