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गणेशोत्सव पर इस विधि से करें गणपति बप्पा की स्थापना, जानें संपूर्ण विधि
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गणेश चतुर्थी पर्व 10 सितंबर 2021 को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व हर साल भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसी तिथि पर सुख और समृद्धि के देवता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेशोत्सव का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन पर गणेश विसर्जन तक चलता है। पंचांग गणना के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी तिथि चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। गणेश भगवान सभी देवताओं से पहले पूजे जाते हैं। हर-पूजा पाठ का प्रारंभ उन्हीं के आवाह्न के साथ होता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को विधि-विधान से घऱ पर स्थापित कर उनका पूजन करने से घर में सौभाग्य और सुख, समृद्धि में वृद्धि होती है। इस लेख में हम आपको गणेश पूजन की संपूर्ण विधि और घऱ पर उन्हें स्थापित करने की विधि बताएंगे। इसके माध्यम से आप घर पर बैठे ही स्वयं ही विधिनुसार गणेश चतुर्थी पर गणपति महाराज की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
गणेश स्थापना मुहूर्त
गणपति बप्पा स्थापना मुहुर्त: 10 सितंबर को 12:17 PM से 10:00 PM तक
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय: 09:12 AM से 08:53 PM तक
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 सितंबर को 12.18 AM से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 सितंबर को 09.57 PM तक
इस विधि से करें गणपति बप्पा को स्थापित
सबसे पहले इस मंत्र का जाप करें- अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
यह गणपति बप्पा का आवह्न मंत्र के साथ स्थापना मंत्र है।
अब गणेश जी की प्रतिमा को जल एवं पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद उन्हें चंदन, रोली, इत्र, आभूषण, दूर्वा, पुष्प आदि अर्पित करें।
गणेश जी के माथे पर सिंदूर लगाएं।
उनको जनेऊ, मोदक, फल आदि चढ़ाएं।
इसके बाद धूप, दीप आदि से आरती करें।
गणेश जी की आरती गाएं।
आरती के बाद परिक्रमा करें।
अंत में कोई भी कमी या भूल के लिए गणपति महाराज से क्षमा मांगें।
यह क्षमा-प्रार्थना मन्त्र जपें
गणेशपूजने कर्म यत् न्यूनमधिकम कृतम।
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्न अस्तु गणपति सदा मम।।
इस तरह से आप खुद ही गणेश चतुर्थी पर गणेश भगवान को अपने यहां विधि विधान के साथ विराजित कर सकते हैं। फिर 10 दिनों तक गणपति महाराज की आराधना करें और इसके बाद उन्हें विधि अनुसार विसर्जित करें। ऐसा करके आप अपने सारे संकटो को दूर और विघ्नहर्ता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।