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वृंदावन कुंभ में होता था हाथियों का रेला, जानिए इसके इतिहास
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को वृंदावन में संतों साधकों से मुलाकात कर उन्हें ब्रज क्षेत्र का विकास करने का आश्वासन दिया. सीएम योगी बोले, इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार धर्मगुरुओं संग मिलकर काम कर रही है. हम इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर ले जाएंगे. सीएम योगी ने यह भी कहा कि आजादी के बाद सरकारों ने धार्मिक पर्यटन के लिए काम नहीं किया. उन्होंने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर काम हो रहा है. प्रयागराज का कुंभ मेला धार्मिक पर्यटन के विकास का एक उदाहरण है. अयोध्या भी एक विश्वस्तरीय शहर के रूप में विकसित हो रहा है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ब्रज तीर्थ विकास परिषद की स्थापना की गई है विकास की कई परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर जाकर दर्शन किए.
वृंदावन कुंभ मेला 40 दिन तक चलेगा. महाकुंभ की तरह वृंदावन कुंभ में वैष्णव संतों का जमावड़ा यहां की विशेषता रही है. उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद यमुना नदी किनारे यह धार्मिक आयोजन कर रहा है. वृंदावन कुंभ बैठक मेले में देशभर से हजारों साधु-संत शामिल होंगे. इसके लिए राज्य सरकार ने भव्य व्यवस्थाएं की हैं. वैसे तो कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन नासिक में होता रहा है, ऐसे में लोगों में जिज्ञासा है कि वृंदावन में कौन से कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है.
वृंदावन कुंभ को दिव्य कुंभ या वैष्णव कुंभ भी कहा जाता है. वृंदावन में कुंभ लगने की परंपरा बहुत पुरानी है. हालांकि ऐतिहासिक तथ्य पर इसकी प्राचीनता की गणना स्पष्ट नहीं है. दावा है कि ंगजेब के शासनकाल में सनातन धर्म के लिए संकटपूर्ण समय में भी यमुना किनारे लोगों का समागम होता रहता था.
हरिद्वार में जो कुंभ होता है, उसमें शैव संप्रदाय के नागा साधुओं का आधिपत्य रहता है. वैष्णव साधुओं से उनके बीच मतभेद की खबरें भी आती रहती हैं. हरिद्वार कुंभ से पहले वैष्णव साधक वृंदावन में एकजुट होकर हरिद्वार के लिए रवाना होते थे.
हरिद्वार कुंभ से पहले वृंदावन कुंभ का आयोजन किया जाता रहा है. इस कुंभ का इतिहास बहुत रोचक है. इस कुंभ के लिए कभी हाथियों के रेले निकलते थे संतो की विशेष सवारियां होती थीं. साधु-संतों के बीच ये हाथी कौतूहल का विषय होते थे. हालांकि अब यहां हाथी नहीं लाए जाते. 1986 के कुंभ में एक हाथी उत्तेजित हो गया था, जिसे बड़ा हादसा हुआ था. इस मेले में सांप भी आकर्षण का केंद्र होते थे.