धर्म-अध्यात्म

Shani Pradosh Vrat पर इस व्रत कथा से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

Tara Tandi
11 Jan 2025 11:25 AM GMT
Shani Pradosh Vrat पर इस व्रत कथा से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ
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Shani Pradosh Vrat ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता है जो कि भगवान शिव को समर्पित होता है इस दिन भक्त शिव साधना में लीन रहते हैं। पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी के दिन किया जाता है ऐसे माह में दो बार यह व्रत पड़ता है।
शनिवर के दिन प्रदोष पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है जो कि आज यानी 11 जनवरी दिन शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त भगवान शिव और शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा पाठ के साथ ही अगर व्रत कथा पढ़ी जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोाकमनाओं को पूरा कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं
प्रदोष व्रत कथा।
यहां पढ़ें प्रदोष व्रत कथा—
प्राचीन समय में एक नगर में एक सेठ रहा करता था. उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी. सेठ के भीतर बहुत दया थी. वो अपने घर से किसी को खाली हाथ नहीं जाने देता था. वो सभी को दान-दक्षिणा देता था. सेठ के पास सब कुछ था, लेकिन उसकी संतान नहीं थी. इस वजह से सेठ और सेठानी दोनों दुखी रहा करते थे. एक दिन उन्होंने तय किया कि वो तीर्थ यात्रा पर जाएंगे. इसके बाद वो तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े. जैसे ही वो अपने नगर के बाहर निकले उनकी नजर एक साधु पर पड़ी. साधु समाधि में थे. दोनों ने सोचा कि साधु का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ा जाए.
फिर दोनों पति-पत्नि साधु के सामने जाकर बैठ गए और उनके समाधि से उठने की प्रतीक्षा करने लगे. काफी देर बाद जब साधु समाधि से उठे तो उन्होंने दोनों पति-पत्नि को अपने सामने बैठे हुए देखा. फिर साधु ने दोनों को आशीर्वाद दिया. उन्होंने पति-पत्नी से कहा कि मैं तुम्हारे मन की बात जान गया हूं. तुम दोनों के धैर्य और भक्ति ने मुझे बहुत प्रसन्न किया है. फिर साधु ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के बारे में बताया. तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद दोनों पति-पत्नि ने नियमित रूप से शनि प्रदोष व्रत किया. कलांतर में व्रत के प्रभाव से सेठ-सेठानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई.
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