धर्म-अध्यात्म

एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए चंद्रोदय का समय

Subhi
19 May 2022 4:45 AM GMT
एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए चंद्रोदय का समय
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हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी दिन को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी दिन को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। दिनभर व्रत करने के साथ चंद्र देव के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति केो सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही भगवान श्री गणेश जी की कृपा से धन, सुख-समृद्धि आती है।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

तिथि- 19 मई 2022

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 18 मई को सुबह 11 बजकर 36 मिनट से शुरू

चतुर्थी तिथि समाप्त - 19 मई को शाम 08 बजकर 23 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- रात 10 बजकर 23 मिनट पर

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद भगवान गणेश जी का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब गणपति जी पूजा करें। भगवान गणेश को फूल के माध्यम से पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला चढ़ाएं। इसके साथ ही 11 या 21 गांठ दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा चढ़ाने के साथ 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र पढ़ें। इसके बाद सिंदूर, अक्षत लगाने के साथ भोग में लड्डू या फिर मोदक खिलाएं। इसके बाद जल अर्पित करने के साथ घी का दीपक और धूप लगाकर गणपति का ध्यान करें। फिर दिनभर व्रत रखने के साथ सूर्यास्त होने से पहले गणपति की दोबारा पूजा करें और चंद्र देव के दर्शन करने के साथ जल से अर्घ्य दें। इसके साथ ही व्रत खोल लें।

एकदन्त संकष्टी चतुर्थी पर इन मंत्रों का जाप

हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए इस मंत्र का जाप करें।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

हर तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें।

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।


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