धर्म-अध्यात्म

Eclipse 2021: कब है सूर्य और चंद्र ग्रहण? कैसे स्वरभानु नाम का राक्षस बन गया राहु और केतु, जानें

Tulsi Rao
6 Sep 2021 4:39 PM GMT
Eclipse 2021: कब है सूर्य और चंद्र ग्रहण? कैसे स्वरभानु नाम का राक्षस बन गया राहु और केतु, जानें
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सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना गया है. पौराणिक कथाओं पाप ग्रह राहु-केतु को ग्रहण का कारण बताया गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Eclipse In 2021: सूर्य और चंद्र ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगता है तो इन ग्रहों की शक्ति क्षीण हो जाती है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा और सूर्य को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति बताया गया है तो वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. इसके साथ सूर्य को पिता और चंद्रमा को माता का कारक भी बताया गया है.

2021 में पड़ने वाले ग्रहण की लिस्ट
इस वर्ष कुल चार ग्रहण का योग बना हुआ है. 2021 में 2 चंद्र ग्रहण और दो ही सूर्य ग्रहण की स्थिति बनी है. पंचांग के अनुसार पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 और सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को लग चुका है. अब दो और ग्रहण शेष रह गए हैं. जिसमें से अब चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. वर्ष 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगने जा रहा है. वहीं सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को लगेगा.
चंद्र ग्रहण का समय
पंचांग के अनुसार 19 नबंवर 2021 को लगने वाला चंद्र ग्रहण पंचांग के अनुसार बुधवार को दोपहर 11 बजकर 30 मिनट पर लगेगा. भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण शाम 5 बजकर 33 मिनट पर लगेगा. तो वहीं सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर, शनिवार को मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने जा रहा है.
ग्रहण- पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन हुआ तो उसमे से अमृत कलश भी निकला. इस अमृत कलश को लेकर देवता-असुरों में विवाद छिड़ गया. देवताओं को भय था कि यदि असुरों ने अमृत पी लिया तो वे अधिक शक्तिशाली हो जाएंगे और सभी लोकों पर उनका अधिकार हो जाएगा. तब भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण करना पड़ा और अमृत कलश लेकर एक पक्ति में सभी देवताओं को बैठाकर अमृत पान कर दिया है, लेकिन किसी तरह से स्वरभानु नाम का एक दैत्य रूप बदलकर देवताओं के बीच जा बैठा और अमृत पी लिया. दैत्य की इस छल के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने तुरंत ही भगवान विष्णु को बता दिया, भगवान विष्णु ने फौरन ही सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया. अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये मरा नहीं बल्कि दो दैत्य बन गए और अमर हो गए. सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया और धड़ केतु कहलाया. ऐसा माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला देने के लिए समय समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं. जब ये दोनों पाप ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते हैं तो इस प्रक्रिया को ग्रहण कहा जाता है.


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