धर्म-अध्यात्म

Dussehra 2020: जानिए दशहरा के दिन होता है अबूझ मुहूर्त, शुभ कार्यों के लिए है उत्तम घड़ी

Deepa Sahu
21 Oct 2020 2:56 PM GMT
Dussehra 2020: जानिए दशहरा के दिन होता है अबूझ मुहूर्त, शुभ कार्यों के लिए है उत्तम घड़ी
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इस साल दशहरा पर्व 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Dussehra 2020: इस साल दशहरा पर्व 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर को मारकर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था। आज ही के दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार कर लंका पर विजय पाई थी। इसलिए इस त्योहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। कई शुभ कार्यों के लिए यह बेहद ही शुभ दिन माना जाता है।

शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त

विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि है इसलिए इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है। मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे बुराई के प्रतीक के रूप में जलाया जाता है।

शमी वृक्ष पूजन है फलदाई

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र शस्त्र छिपाए थे, जिसके बाद युद्ध में उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इस दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है, महिलाओं को अखंड सौभग्य की प्राप्ति होती है एवं इस वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

विजय का सूचक है पान

दशहरा के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमानजी को मीठी बूंदी का भोग लगाने बाद उन्हें पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है। विजयादशमी पर पान खाना, खिलाना मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है।

नीलकंठ के दर्शन है शुभ

लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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