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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आज चारों तरफ दिवाली की धूम है। हर कोई दिवाली की तैयारियों में लगा हुआ है। आज के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन मां शारदा की पूजा भी का जाती है। मां को ज्ञान की देवी कहा जाता है। मां शारदा की पूजा को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। आइए पढ़ते हैं मां शारदा की पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मदेव को भगवान विष्णु ने संसार की रचना करने का आदेश दिया था। विष्णु जी के आदेश के बाद ब्रह्मा जी ने सभी जीवों की रचना की जिसमें विशेषकर मनुष्य की रचना की। लेकिन फिर भी ब्रह्मदेव को संतुष्टि नहीं हुई। उन्हें लग रहा था कि संसार में कुछ कमी है जिसे पूरा करना पड़ेगा। इस कमी से हर तरफ मौन का वातावरण है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा ली और अपने कमंडल में से जल लिया और छिड़काव किया। जैस ही ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर छिड़काव किया तो धरती पर कंपन होने लगा।
ब्रह्मदेव द्वारा ने जैसा ही धरती पर छिड़काव किया तो वृक्षों से अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। यह शक्ति एक स्त्री थी। यह एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी। इस स्त्री के हाथ में वीणा और वर मुद्रा थी। ये इसी के साथ प्रकट हुई थीं। उनके अन्य हाथों में पुस्तक एवं माला थी। फिर ब्रह्मा जी ने देवी से कहा कि वो वीणा बजाएं। जैसे ही देवी ने वीणा बजाई तो संसार में सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हुई। इससे जलधारा में कोलाहल होने लगा। सिर्फ यही नहीं, पवन से सरसराहट की आवाज होने लगी। यह देख ब्रह्मा जी ने देवी को सरस्वती नाम दिया। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी आदि नामों से भी जाना जाता है।