धर्म-अध्यात्म

शनि के कुंभ राशि में जाने से मिथुन वालों को धन पाने के लिए करनी होगी कड़ी मेहनत, कर्क वालों के कठिन समय

Subhi
3 May 2022 2:29 AM GMT
शनि के कुंभ राशि में जाने से मिथुन वालों को धन पाने के लिए करनी होगी कड़ी मेहनत, कर्क वालों के कठिन समय
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सूर्य पुत्र शनि देव का गोचरीय परिवर्तन 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को अपनी पहली राशि मकर से दूसरी राशि कुंभ में हो गया है। शनि देव का यह गोचरीय परिवर्तन चराचर जगत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन है ।

सूर्य पुत्र शनि देव का गोचरीय परिवर्तन 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को अपनी पहली राशि मकर से दूसरी राशि कुंभ में हो गया है। शनि देव का यह गोचरीय परिवर्तन चराचर जगत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन है । शनि देव को न्याय कर्ता कहा गया है। जो जैसा कर्म करता है उसको उसी प्रकार का फल प्रदान करते हैं। शनि देव का कुंभ राशि में गोचर अपना संपूर्ण प्रभाव दे पाने में सफल होगा। जिसके लिए शुभ कारक स्थिति में विद्यमान होंगे उनके लिए शुभ फलों में शुभता के साथ वृद्धि करेंगे। एवं जिनकी जन्म कुंडली में नकारात्मक फल प्रदायक के रूप में अर्थात और अकारक हो करके विद्यमान होंगे उनके लिए नकारात्मक फल भी उतना ही तीव्रता के साथ प्रदान करेंगे । यहां मिथुन एवं कर्क लग्न अथवा राशि वालों के लिए किस प्रकार का प्रभाव स्थापित करने जा रहे हैं इसकी चर्चा करेंगे।

मिथुन :- मिथुन लग्न अथवा मिथुन राशि वालों के लिए शनि देव अष्टम एवं भाग्य भाव के कारक होकर भाग्य भाव में स्वगृही गोचरीय संचरण गोचर करने जा रहे हैं।भाग्येश का स्वगृही होना एक बड़ी बात होती है। शनि के इस परिवर्तन के कारण मिथुन लग्न अथवा मिथुन राशि वालों के भाग्य में सकारात्मक प्रगति देखने को मिलेगा।पराक्रम में वृद्धि, कर्म फल में सकारात्मकता , सामाजिक पद प्रतिष्ठा , में वृद्धि पिता के स्वास्थ्य में सुधार , पिता के सुख एवं सानिध्य में वृद्धि की स्थिति बनेगा। शनिदेव की तीसरी दृष्टि लाभ भाव पर होगी जो ज्यादा शुभ फल प्रदायक नहीं होगी। क्योंकि तीसरी दृष्टि इन की नीच दृष्टि होगी। ऐसे में लाभ के अवसरों में कमी प्रदान करेंगे। व्यापारिक गतिविधियों में अवरोध के साथ प्रगति की स्थिति बनाएंगे। अचानक से धन लाभ होगा परंतु उसके लिए परिश्रम ज्यादा करना पड़ेगा । शनिदेव की सप्तम दृष्टि पराक्रम भाव पर होगा। ऐसे में पराक्रम में वृद्धि भाई बहनों के स्वास्थ्य की चिंता भी उत्पन्न करेंगे। अगली दृष्टि छठे भाव पर होगी अर्थात कर्ज ,रोग एवं प्रतियोगिता के भाव पर होगे। फलस्वरूप शत्रु पर विजय , पुराने रोगों से मुक्ति ,कर्ज से मुक्ति भी प्रदान करने में पूर्णता मदद करेंगे। इस प्रकार देखा जाए तो मिथुन लग्न वालों के लिए अथवा मिथुन राशि वालों के लिए शनि देव का यह परिवर्तन ज्यादा सकारात्मक फल प्रदायक ही होगा। अष्टमेश होने के कारण थोड़ा सा अरोधक भी साबित होंगे। ऐसे में अपने मूल कुंडली के अनुसार उपाय कर लेने से शुभता में वृद्धि हो जाएगा।

कर्क :- कर्क लग्न अथवा राशि वालों के लिए शनिदेव का यह गोचरी परिवर्तन अष्टम भाव में होने जा रहा है। सप्तम एवं अष्टम के कारक होकर की अष्टम भाव में अपनी राशि का होकर गोचर करने जा रहे हैं। अष्टमेश का अष्टम भाव में होने से विपरीत राजयोग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसी स्थिति में पुराने रोगों का शमन होगा। स्वास्थ्य में सुधार की संभावनाएं बनेंगे । शनि देव की तीसरी नीच दृष्टि मेष राशि राज्य भाव पर अर्थात दशम भाव पर होगा। परिणाम स्वरूप कार्यों में अवरोध, परिश्रम में तनाव की स्थिति उत्पन्न होगा । पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता। नौकरी कर रहे लोगों के लिए अचानक परिवर्तन का योग एवं तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। शनि देव की अगली दृष्टि द्वितीय भाव अर्थात धन भाव पर होगा। ऐसे में अचानक धन खर्च का भी वातावरण बनेगा । साथ ही साथ पारिवारिक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। वाणी में अचानक तीव्रता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दांत की समस्या , गले की समस्या एवं कर्ज लेने की भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अतः सतर्कता पूर्वक ही कार्य करना चाहिए । शनिदेव की अगली दृष्टि अर्थात दशम दृष्टि पंचम भाव, संतान के भाव पर होने से संतान के प्रति थोड़ी सी चिंता के स्थिति। अध्ययन अध्यापन में अवरोध या तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। मन अशांत रह सकता है । विचारों में विभिन्नता देखने को मिलेगा । देखा जाए तो कर्क लग्न अथवा कर्क राशि वालों के लिए शनिदेव का यह परिवर्तन ज्यादा शुभ फल प्रदायक नहीं होगा। अतः अपने मूल कुंडली के अनुसार शनि देव की शांति के लिए उपाय कर लेना ज्यादा बेहतर परिणाम प्रदान करने वाला होगा।


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