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धर्म-अध्यात्म
निंद न आने और डायबिटीज के कारण होता है कुंडली में कमजोर चंद्रमा, जानें राशिफल
Tulsi Rao
16 March 2022 6:01 PM GMT
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अगर ग्रहों की दशा ठीक न हो तो व्यक्ति कई तरह से परेशान रहता है और वहीं ग्रह दशा सही होने पर व्यक्ति सुखी जीवन जीता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का असर व्यक्ति के जीवन और उसके स्वास्थ्य पर शुभ और अशुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं.इन ग्रहों की स्थिति का असर व्यक्ति की सेहत, रिश्ते और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है.अगर ग्रहों की दशा ठीक न हो तो व्यक्ति कई तरह से परेशान रहता है और वहीं ग्रह दशा सही होने पर व्यक्ति सुखी जीवन जीता है.
अनिद्रा या तनाव की समस्या
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है. इसका संबंध मां और मामा से भी होता है. किसी भी जातक की कुंडली में चंद्रमा के अशुभ होने पर जातक को मानसिक समस्याओं, अनिद्रा, तनाव, निर्णय लेने में मुश्किल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
अशुभ चंद्रमा बनता है इन बीमारियों का शिकार
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है. वृषभ राशि में उच्च का और वृश्चिक राशि में नीच का होता है. चंद्रमा का मूल त्रिकोण राशि वृषभ है. इसके मित्र ग्रह सूर्य और बुध हैं और शत्रु ग्रह राहु-केतु हैं. सम ग्रह मंगल, गुरु, शुक्र और शनि हैं. किसी भी जातक की कुंडली में अशुभ चंद्रमा से व्यक्ति को शरीर में जल संबंधी रोग होते हैं. जैसे- मूत्राशय संबंधी रोग, मधुमेह (डायबिटीज), अतिसार (दस्त), अनिद्रा (नींद न आना), नेत्ररोग , विक्षिप्तता (पागलपन), पीलिया, मानसिक पीड़ा, मानसिक थकान, श्वास रोग (दमा), फेफड़ों के रोग हो सकते हैं.
चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को कम करने के उपाय
- कुंडली में चंद्रमा अशुभ होने पर जातक को चांदी की अंगूठी में असली मोती धारण करना चाहिए. इसके लिए विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.
- वहीं, चांदी का चकोर टुकड़ा अपनी जेब या पर्स में हमेशा के लिए रखना भी शुभ फलदायी होता है.
- चंद्रमा अशुभ होने पर मां को ज्यादा से ज्यादा प्रसन्न रखें. मां के आशीर्वाद से जीवन में सब ठीक होगा.
- ज्योतिष अनुसार शुद्ध जल में कच्चा दूध मिलाकर नियमित रूप से शिवलिंग का अभिषेक करें.
- हर माह पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा को गाय के दूध की खीर का भोग लगाएं और फिर परिवार सहित खाएं. इससे भी लाभ होगा.
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