धर्म-अध्यात्म

एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम

Subhi
19 Feb 2021 5:58 AM GMT
एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम
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भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत को दिव्य फलदायी व्रत माना जाता है.

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत को दिव्य फलदायी व्रत माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्वयं इसकी महिमा का वर्णन युधिष्ठिर से किया था. एकादशी व्रत महीने में दो बार आता है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी पर. 23 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 2021 का व्रत है. अगर आप भी एकादशी व्रत रखते हैं तो इसकी पूजा के साथ कुछ अन्य नियमों का भी ध्यान रखें ताकि आपको इस व्रत का फल प्राप्त हो सके.

1. एकादशी व्रत के नियम करीब तीन दिन तक लागू होते हैं. दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद से इसके नियम शुरू होते हैं और द्वादशी की सुबह पारण के समय तक रहते हैं. दशमी के दिन मांस, मीट, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, चने की दाल वगैरह नहीं खाना चाहिए.

2. एकादशी के दिन लकड़ी का दातुन न करें. नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें. इस दिन वृक्ष से पत्ता भी नहीं तोड़ा जाता, नीचे गिरे हुए पत्तों को धोकर उपयोग कर सकते हैं.

3. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है. अगर लगाना ही है तो संभलकर लगाएं, जिससे किसी जीव को हानि न पहुंचे.

4. व्रत रखने वाले व्यक्ति को एकादशी के दिन गाजर, शलजम, गोभी, पालक आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. किसी का दिया हुआ अन्न या दान इस ग्रहण न करें. बल्कि खुद जरूरतमंदों को दान करें.

5. किसी के लिए अपशब्द न कहें और न ही किसी की चुगली करें. बड़े बुजुर्गों और जरूरतमंदों का सम्मान करें.

6. यदि भूलवश किसी के लिए अपशब्द कहे या निंदा की तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन करने के बाद धूप-दीप से श्री‍हरि की पूजा करें और उनसे अपनी इस भूल के लिए क्षमा मांगें.

7. इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए और न ही किसी से ज्यादा बात करनी चाहिए. ज्यादा बोलने से एनर्जी बर्बाद होती है, साथ ही कई बार गलत शब्द मुंह से निकलने का डर रहता है. ऐसे में मौन रहकर भगवान का मनन करें.

8. यदि संभव हो तो दिन में किसी समय गीता का पाठ करें या सुनें. एकादशी की रात जागरण करके भजन कीर्तन करें और द्वादशी के दिन स्नान के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन खिलाएं और दान दक्षिणा दें, इसके बाद ही व्रत खोलें.

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