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शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को
शनिदेव का नाम सुनते ही लोगों के अंदर डर बैठ जाता है और लोग समझ बैठते हैं कि शनिदेव दुख-दर्द के कारक हैं। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है ये कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अगर आपकी कुंडली में यह ग्रह अशांत है तो शनि दोष से बचने के लिए और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा और व्रत रखने की भी सलाह दी जाती है।
ईमानदारों के लिए सम्मानित है शनि ग्रहः-
शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हुआ था। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। शनिवार को शनि देव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, हवन, उपवास से शनिदेव जल्द प्रसन्न् होते हैं। हांलाकि शनिदेव को सहज कुपित होने वाले माने जाते है और इनकी वक्र दृष्टि से मनुष्य ही नहीं देव भी भयभीत रहते हैं।
शनिवार को शनि देव की पूजा के नियम और लाभः-
शनि देव को कर्म फल व न्याय का प्रतीक और सुख-संपत्ति, वैभव और मोक्ष देने वाला ग्रह माना जाता है। मान्यता ये भी है कि धर्मराज होने की वजह से प्राय: शनि पापी व्यक्तियों के लिए दुख और कष्टकारक होते हैं, लेकिन ईमानदारों के लिए शनिदेव यश, धन, पद और सम्मान का ग्रह है। शनि की दशा आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव भी आते है… तो चलिए जानते हैं कि कैसे हम पूजा करके उन उतार चढाव़ को ख्तम कर सकते हैं। पूजा करते समय किन बातों का रखना चाहिये ध्यान…
शनिदेव को तेल चढ़ाते समय रखें इन बातों का ध्यानः-
कहा जाता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें। तेल दान के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि तेल इधर-उधर न गिरे। वहीं शनिवार को काले तिल और गुड़ चींटी को खिलाएं। इसके अलावा शनिवार के दिन चमडे के जूते चप्पल दान करना भी अच्छा रहता है।
शनिदेव की मूर्ति के सामने खड़े न होकर करें पूजाः-
पहले शनिदेव के मंदिर बहुत कम संख्या में पूजा-अर्चना की जाती थी। लेकिन आज के समय में जगह-जगह आपको शनिदेव के मंदिर मिल जाएंगे, जिनमें शनिदेव की मूर्तियां भी हैं। कहा जाता रहा है कि जब शनिदेव मंदिर में जाएं, तो कभी भी मूर्ति के सामने खड़े नहीं होना चाहिए। हो सके तो शनि देव के उस मंदिर में ही जाएं जहां शनि शिला के रूप में हों। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल और शमी के पेड़ की पूजा करें।
शनिवार के दिन क्यों दान करना चाहिए लोहा?
शनिवार के दिन लोहा खरीदना (shanivar ko loha kharidna) तो अशुभ माना जाता है लेकिन इस दिन लोहा का दान बहुत ही शुभ माना जाता है। लोहे से बनी चीजों को दान करने से शनिदेव की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है। यदि आपका व्यापार घाटे में चल रहा है तो उसमें मुनाफा होने लगता है।
शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हुआ था। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। शनिवार को शनि देव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, हवन, उपवास से शनिदेव जल्दीह प्रसन्न् होते हैं। हांलाकि शनिदेव को सहज कुपित होने वाले माने जाते है और इनकी वक्र दृष्टि से मनुष्य ही नहीं देव भी भयभीत रहते हैं।
शनि देव की आंखों में कभी न देखेः-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए। शनि देव की पूजा करते समय हमेशा अपनी नजरें नीचे रखें। शनि देव से नजरें मिलाने से आप पर शनि देव की बुरी नजर पड़ सकती है। रिपोर्ट- अंजलि
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