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- इस व्रत में तिल का दान...
पद्मपुराण में एकादशी का बहुत महात्मय बताया गया है। माघ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए। षटतिला एकादशी व्रत में बैकुण्ठ रूप में भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाएं।
तिल से 108 बार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कर हवन करना चाहिए। इस व्रत में तिल का छह रूप में दान करना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का दान करता है उसे उतने हज़ार वर्ष स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। इस व्रत में जिन छह प्रकार के तिल दान की बात कही गई है, उनमें तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल का तिलक, तिल मिश्रित जल का सेवन, तिल का भोजन, तिल से हवन हैं। इस व्रत को रखने से अज्ञानता पूर्वक किए गए सभी अपराधों से भगवान मुक्त कर देते हैं। मान्यता है कि इस दिन तिल का दान स्वर्ण दान के बराबर होता है। इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान कर पूजा स्थल को स्वच्छ करना चाहिए। भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। विधि-विधान से पूजा अर्चना करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल अर्पित करें। अगली सुबह द्वादशी पर पूजा के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। इस व्रत में हर पल भगवान श्री हरि का स्मरण करें।