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Surya Grahan सूर्य ग्रहण : सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। सनातन धर्म में इसका विशेष अर्थ है। सूर्य ग्रहण का असर लोगों के जीवन पर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तार से बताया गया है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान आदि के बाद गरीबों को श्रद्धानुसार दान (Surya Grahan Daan) करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे भाग्य और समृद्धि बढ़ती है और सूर्य देव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आश्विन मास की अमावस्या यानी 2 अक्टूबर (ग्रहण तिथि 2024) को लगेगा. यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस कारण सूतक काल मान्य नहीं है.
ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें और पूजा करें. श्रद्धानुसार गरीबों को चना, गेहूं, गुड़ और दालें दान करें। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति को अपने सभी कार्यों में सफलता मिलेगी और सूर्य ग्रहण के प्रभाव से उसकी रक्षा होगी।
केले, लड्डू और चने के आटे का पेड़ा भी दान करना चाहिए. इससे व्यक्ति को सभी प्रकार की चिंता और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।
अगर आप अपना पद और प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहते हैं तो नींबू और पका पपीता का दान करें। यह आपको पद और प्रतिष्ठा दिलाता है। आप लाल वस्त्र, दूध और चावल का दान भी कर सकते हैं।
ग्रहण के बाद घर में झाड़ू लगाएं और गंगा जल छिड़क कर साफ करें। ऐसा माना जाता है कि इस कार्य के परिणामस्वरूप ग्रहण की नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं।