धर्म-अध्यात्म

क्या आप जानते है मृत्यु के बाद व्यक्ति प्रेत योनि में कैसे जाता है

Khushboo Dhruw
22 Jan 2023 2:44 PM GMT
क्या आप जानते है मृत्यु के बाद व्यक्ति प्रेत योनि में कैसे जाता है
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हिंदू धर्म में 18 महा पुराणों का वर्णन किया है। जिनमें से गरुड़ पुराण को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस महापुराण में भगवान विष्णु ने अपने प्रिय वाहन गरुड़ को जीवन के कुछ मूल रहस्यों के विषय में बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि व्यक्ति को किन कर्मों के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि गरुड़ पुराण में जीवन और मरण व कर्म और उसके फलों के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें मनुष्य योनि और प्रेत योनि के विषय का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है। गरुड़ पुराण में इस विषय का भी वर्णन किया गया है कि मनुष्य किन कर्मों के बाद प्रेत योनि का भोगी होता है। गरुड़ पुराण के इस भाग में जानते हैं कि मृत्यु के बाद व्यक्ति भौतिक शरीर से प्रेत योनि में कैसे जाता है?

गरुड़ पुराण में भूत प्रेतों के विषय कही गई है यह बात
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब एक आत्मा शारीर त्यागने के बाद भी भूख, प्यास, क्रोध, द्वेष, वासना आदि भाव से भरा रहता है या किसी की मृत्यु दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या के कारण होती है या जब आत्मा शरीर को प्राकृतिक कारण से नहीं त्यागती है, उस परिस्थिति में आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है। गरुड़ पुराण में 84 लाख योनियों के विषय में बताया गया है। जिनमें पशु, पक्षी, वृक्ष, मनुष्य या कीड़े-मकोड़े आदि भी शामिल हैं। इन योनियों में जन्म केवल कर्मों के आधार पर मिलता है।
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि जब मृत्यु के बाद आत्मा को शांति नहीं मिलती है, उस स्थिति में भी वह प्रेत योनि में भटकी रहती है। इसलिए शास्त्रों में तर्पण और श्राद्ध के नियम बताए गए हैं। महापुराण के अनुसार पितरों का श्राद्ध एवं तर्पण करने से ही उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है और वह मृत्यु लोक से स्वर्ग लोग चले जाते हैं। लेकिन जिनकी आत्मा अधूरे कर्मों के कारण शांत नहीं होती है, वह मृत्यु लोक में ही भटकती रहती है और अन्य लोगों को भी किसी न किसी रूप में परेशान करती है। इनमें कुछ आत्माओं की शक्ति बहुत अधिक होती है, जिन्हें भूत-प्रेत या राक्षस आदि के रूप में जाना जाता है। लेकिन कुछ आत्माएं बलवान नहीं होती है। यह शक्तियां भी व्यक्ति द्वारा जीवन में किए गए कर्मों पर ही निर्भर करती हैं।
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