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सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के लिए प्रिय होता है. कहा जाता है, इस महीने रोजाना अगर शिवलिंग को जल चढ़ाया जाए तो सारी मनोकामना पूर्ण होती है. हालांकि, शिवलिंग की पूजा करते समय या जल चढ़ाते समय लोग एक बड़ी गलती करते हैं. वह शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करते हैं. लेकिन आपको बता दें, शिवलिंक की पूरी प्रक्रिमा करना का नियम (Sawan Shivling Rules) नहीं होता है.
शिवलिंग पूजा का नियम जो लोग नहीं जानते हैं वह अक्सर ऐसी गलतियां करते हैं और शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करते हैं. ऐसे में उनसे अनजाने में ही बड़ी गलती होती है. चलिए आपको शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करते हैं इसके बारे में पूरे विस्तार से बताते हैं.
आपको बता दें, सनातन धर्म में शिवलिंग की पूजा करने के कुछ नियम बनाए गए हैं. साथ ही उनके बारे में तथ्य भी दिया गया है. शिवलिंग की पूजा करते समय कभी इसकी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. बल्कि इसकी अर्ध परिक्रमा करनी चाहिए.ऐसा कहा गया है कि, शिवलिंग में ऊर्जा का भंडार होता है. इसी वजह से शिवलिंग के ऊपर हमेशा एक मटकी रहती है जिसके जरिए जल शिवलिंग पर गिरता रहता है. जिससे कि यह ठंडा रहे.
वहीं, शिवलिंग के ऊपर लोग दूध, दही और शहद चढ़ाते हैं, जो शिवलिंग से एक नलिका के जरिए बाहर जमीन पर निकलती है. इस नलिका को सोमसूत्र या जलधारी या निर्मली कहा जाता है. जब कोई व्यक्ति शिवलिंग की पूजा करता है तो इसकी परिक्रमा के दौरान इस नलिका को लांघता है. लेकिन शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि, इस नलिका को लांघने से शिवजी क्रोधित होते हैं. क्योंकि इससे बहने वाले मिश्रण में शिव और शक्ति दोनों की ऊर्जा मिली होती है.
कैसे करें शिवलिंग की परिक्रमा
शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी करनी चाहिए इसे अर्ध चंद्राकार परिक्रमा भी कहा जाता है. शिवलिंग की अर्ध चंद्राकार परिक्रमा करते वक्त आपका दाहिना हाथ शिवलिंग की ओर होना चाहिए. अगर बांया हाथ शिवलिंग की ओर होगा तो वह परिक्रमा उल्टी होगी.
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