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सनातन धर्म में शनि देव को कर्मों का दाता माना गया है। ये व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं जो लोग अच्छे काम करते हैं शनि उन्हें शुभ फल देते हैं लेकिन बुरे कार्यों को करने वालों पर शनि का क्रोध बरसता है। शनि पूजा के लिए वैसे तो हफ्ते का शनिवार समर्पित होता है। लेकिन शनि जयंती को भगवान शनिदेव की पूजा के लिए सबसे अधिक श्रेष्ठ बताया गया है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि महाराज का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को हुआ था। जिसे शनि जयंती के नाम से देशभर में मनाया जाता है। कहा जाता है कि जिस पर शनि कृपा होती है उसके जीवन की सभी दुख परेशानियां दूर हो जाती है ऐसे में हर कोई शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती के पावन दिन पर पूजा पाठ और व्रत आदि करते हैं लेकिन इसके साथ ही अगर इस दिन कुछ उपाय व कार्यों को किया जाए तो शनि प्रकोप कम हो जाता है साथ ही साथ जीवन में भी सुख शांति व समृद्धि आती है तो आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
पूजा मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई को शाम 9 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो रही है और 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 19 मई के दिन ही शनि जयंती मनाई जाएगी। शनि जयंती शनि महाराज की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ दिन है।
शनि जयंती के उपाय—
शनि जयंती के शुभ दिन पर भगवान शनिदेव की विधिवत पजा करें इसके बाद श्री शनि चालीसा का पाठ करें। इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को सताने की गलती नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से शनि क्रोधित हो जाते हैं इसके अलावा इस दिन माता पिता की सेवा करने व दूसरों की मदद करने से शनि प्रसन्न होते है। शनि जयंती के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान भी कर सकते है। इस दिन आप पीपल का वृक्ष लगाकर उसकी देखभाल करें ऐसा करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनि जयंती पर शनिदेव के साथ शिव और हनुमान जी की पूजा करने से साधक को कई गुना लाभ प्राप्त होता है साथ ही आर्थिक, मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
Tara Tandi
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