धर्म-अध्यात्म

आज शुक्रवार को करें वैभव लक्ष्मी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

Subhi
16 Sep 2022 5:53 AM GMT
आज शुक्रवार को करें वैभव लक्ष्मी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त
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शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के अलावा मां संतोषी और वैभव लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। लंबे समय से रुके हुए काम, किसी प्रतियोगी परीक्षा में पास होना या फिर सुख-समृद्धि पाना चाहते हैं

शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के अलावा मां संतोषी और वैभव लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। लंबे समय से रुके हुए काम, किसी प्रतियोगी परीक्षा में पास होना या फिर सुख-समृद्धि पाना चाहते हैं, तो वैक्षव लक्ष्मी का व्रत जरूर करना चाहिए। जानिए वैभव लक्ष्मी व्रत के बारे में सब कुछ।

कब करें वैभव लक्ष्मी का व्रत (When started Vaibhav Laxmi Vrat)

वैभव लक्ष्मी व्रत को महिलाओं के अलावा पुरुष भी कर सकते हैं। इस व्रत को अपने सामर्थ्य के अनुसार 11 या 21 शुक्रवार के दिन किया जा सकता है। इसके बाद उद्यापन कर दिया जाता है।

ऐसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत की शुरुआत

शुक्रवार के दिन प्रात: काल सभी कार्यों को समाप्त करके स्नान आदि करके साफ सूथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मां वैभव लंक्षी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और विधिवत मां लक्ष्मी की पूजा कर लें। दिनभर फलाहार व्रत रखें।

वैक्षव लक्ष्मी व्रत पूजा विधि (Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi)

वैभव लक्ष्मी व्रत के शाम के समय करना लाभकारी माना जाता है। शाम के समय स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मंदिर या साफ सुथरी जगह पर एक चौकी रखकर लाल कपड़ा बिछाएं और उसमें मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर लें। अब एक कलश में जल भर लें और उसके ऊपर कटोरी रख दें। कटोरी में गेंहूं, चावल आदि भर दें। इसे मां लक्ष्मी की तस्वीर के बगल में थोड़े से चावल डाले और उसके ऊपर रख दें।

अब मां लक्ष्मी को जल अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला, वस्त्र, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई या खीर का भोग लगा दें। इसके बाद जल चढ़ा दें। अब घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी सूक्त पाठ के साथ वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का पाठ कर लें। इसके बाद इस मंत्र का जाप कर लें।

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

अंत में विधिवत रूप से आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

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