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सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को बेहद ही खास माना गया हैं। जो कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी पावन दिन पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का धरती पर जन्म हुआ था।
जिसे देशभर में जन्माष्टमी या कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। इस साल जन्माष्टमी 6 सितंबर को पड़ रही हैं। इस दिन भक्त दिनभर उपवास रखकर भगवान की पूजा करते हैं ऐसे में अगर व्रत पूजा के साथ ही श्रीकृष्णाष्टम् का संपूर्ण पाठ किया जाए तो प्रभु की सदा कृपा बनी रहती हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री कृष्णाष्टकम्।
श्री कृष्णाष्टकम्—
वासुदेव सुतम देवम
॥ अथ श्री कृष्णाष्टकम् ॥
वसुदेव सुतं देवंकंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥१॥
अतसी पुष्प सङ्काशम्हार नूपुर शोभितम्।
रत्न कङ्कण केयूरंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥२॥
कुटिलालक संयुक्तंपूर्णचन्द्र निभाननम्।
विलसत् कुण्डलधरंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥३॥
मन्दार गन्ध संयुक्तंचारुहासं चतुर्भुजम्।
बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥४॥
उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षंनील जीमूत सन्निभम्।
यादवानां शिरोरत्नंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥५॥
रुक्मिणी केलि संयुक्तंपीताम्बर सुशोभितम्।
अवाप्त तुलसी गन्धंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥६॥
गोपिकानां कुचद्वन्द्वकुङ्कुमाङ्कित वक्षसम्।
श्रीनिकेतं महेष्वासंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥७॥
श्रीवत्साङ्कं महोरस्कंवनमाला विराजितम्।
शङ्खचक्रधरं देवंकृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥८॥
कृष्णाष्टक मिदं पुण्यंप्रातरुत्थाय यः पठेत्।
कोटिजन्म कृतं पापंस्मरणेन विनश्यति॥
॥ इति श्री कृष्णाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
नियम
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन दिन पर स्नान आदि करने के बाद भगवान के बाल स्वरूप की विधिवत पूजा करें साथ ही उन्हें भोग लगाकर उनकी आरती उतारें और फिर श्रीकृष्णष्टकम् का संपूर्ण पाठ करें इस पाठ को करने से समस्त परेशानियों का समाधान हो जाता हैं और खुशहाली बनी रहती हैं।
Tara Tandi
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