धर्म-अध्यात्म

जीवन में खुशहाली के लिए आषाढ़ अमावस्या पर करें ये काम

Tara Tandi
15 Jun 2022 8:25 AM GMT
जीवन में खुशहाली के लिए आषाढ़ अमावस्या पर करें ये काम
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हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या को अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या को अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है। इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 28 जून 2022 को है। चंद्र मास के अनुसार आषाढ़ वर्ष का चौथा माह होता है। इसके बाद वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान और पितरों के निमित्त दान व तर्पण करने का विधान रहता है। इसके अलावा इस दिन पितरों के लिए व्रत करने का भी विधान है। इससे आपके ऊपर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। अमावस्या तिथि पितृदोष और कालसर्प दोष को दूर करने के लिए काफी शुभ मानी जाती है। इस दिन कुछ उपायों को अमल में लाया जाए तो जीवन से कई सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं और व्यक्ति का जीवन खुशहाल बन सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं जीवन में खुशहाली के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए...

आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि का आरंभ: 28 जून, सुबह 05:53 मिनट से
अमावस्या तिथि का समाप्त: 29 जून, सुबह 08:23 मिनट पर
आषाढ़ अमावस्या के दिन जरूर करें ये शुभ काम
आषाढ़ अमावस्या पर करें ये काम
धार्मिक शास्त्रों में पूर्णिमा की तरह की अमावस्या पर भी स्नान-दान का विशेष महत्व माना गया है, इसलिए आषाढ़ अमावस्या के दिन जल्दी उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
मान्यता है कि अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। इस दिन स्नान के बाद उनका तर्पण करना चाहिए। ऐसे में स्नान के बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण जरूर करें। इसके अलावा यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो आषाढ़ अमावस्या पर यज्ञ कराना चाहिए। इससे पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
आषाढ़ अमावस्या पर भगवान सूर्य, भगवान शिव, माता गौरी और तुलसी की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके अलावा आषाढ़ अमावस्या पर किसी गरीब या जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें।
संभव हो तो इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। अमावस्या पर पेड़-पौधे भी लगाए जाते हैं। ऐसा करने से कई तरह के दोष और जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत भगवान के भजन-सुमिरन के साथ-साथ उनका धन्यवाद करते हुए आरंभ करना चाहिए। साथ ही जो वस्तुएं रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होती हैं उनका उचित मान-सम्मान करना चाहिए।
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