धर्म-अध्यात्म

Aja Ekadashi पर करें यह काम ,सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद

Tara Tandi
27 Aug 2024 8:39 AM GMT
Aja Ekadashi पर करें यह काम ,सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
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Aja Ekadashi ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन एकादशी व्रत को खास बताया गया है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होता है पंचांग के अनुसार अभी भाद्रपद माह चल रहा है और इस माह में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है जो कि इस बार 29 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना लाभकारी माना जाता है लेकिन इसी के साथ ही अगर श्री हरि के चमत्कारी मंत्रों का जाप भक्ति भाव से किया जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्र।
धन-समृद्धि मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
दुख नाशक मंत्र
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।
विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
विष्णु मंगल मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।
ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
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