धर्म-अध्यात्म

सोमवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, हर मनोकामना होगी पूरी

Subhi
6 Jun 2022 4:46 AM GMT
सोमवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम, हर मनोकामना होगी पूरी
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हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ की समर्पित है। इस दिन विधि-विधान शिव जी की पूजा करने से जीवन की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती हैं। कहा जाता है कि शिव जी अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ की समर्पित है। इस दिन विधि-विधान शिव जी की पूजा करने से जीवन की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती हैं। कहा जाता है कि शिव जी अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शिव जी मात्र बेलपत्र और जल चढ़ाने से ही अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। सृष्टि की रक्षा के लिए विष पान करने वाले भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना बहुत जल्द पूरी करते हैं। भगवान भोलेनाथ के व्यक्तित्व के कई रंग हैं, इसलिए उन्हें 'देवों के देव महादेव' भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में महादेव को कल्याण का देवता माना गया है। शिव जी को उनकी दया और करुणा के लिए भी जाना जाता है। इसलिए भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए उनके भक्त सोमवार के दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करते हैं। इसके अलावा पूजा के दौरान भगवान शिव की आरती भी करनी चाहिए। इससे शिव जी की अधिक कृपा प्राप्त होती है...

सोमवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

सोमवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

सोमवार को पूजा के दौरान जरूर करें ये काम

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

जटा में गंग बहती है, गल मुण्डन माला ।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा।


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