धर्म-अध्यात्म

प्रतिदिन शिवलिंग पूजा में करें ये काम, शीघ्र विवाह की इच्छा होगी पूरी

Tara Tandi
7 July 2023 10:39 AM GMT
प्रतिदिन शिवलिंग पूजा में करें ये काम, शीघ्र विवाह की इच्छा होगी पूरी
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हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और पूजनीय महीना सावन 4 जुलाई से आरंभ हो चुका हैं और इसका समापन 31 अगस्त को हो जाएगा। ये पूरा महीना शिव भक्ति को समर्पित होता हैं इस दौरान भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेबाबा प्रसन्न होकर अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं।
ऐसे में अगर आप भी शिव शम्भू की पूजा अर्चना कर रहे हैं तो शिवलिंग साधना के समय भगवान के प्रिय लिंगाष्टकम् स्तोत्र का पाठ जरूर करें माना जाता है कि ये चमत्कारी पाठ जीवन के सभी दुखों को दूर करता है साथ ही साथ शीघ्र विवाह की इच्छा भी पूरी हो जाती हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान शिव के प्रिय स्तोत्र ​लिंगाष्टकम्।
​लिंगाष्टकम् स्तोत्र—
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गम् निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गम् कामदहम् करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गम् बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गम् फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गम् पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गम् भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गम् सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गम् सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।
लिङ्ग स्तुति
पयोनाधि थीर निवास लिङ्गं, बालार्क कोटि प्रथिमं त्रिनेथ्रं ।
पद्मस्नेरचिथ दिव्य लिङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
गङ्गा थारङ्गोल्लस दुग्दमङ्गं, गजेन्द्र चर्मंबर भूषिथाङ्गं ।
ग़ोव्रि मुखंभोज विलोल बृङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
सुकन्कानि भूथ महा भुजङ्गं, संज्ञान संपूर्ण निजन्थरङ्गं ।
सुर्येण्डु बिम्बनल भूषिथाङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
भक्था प्रियं भव विलोल बृङ्गं, भक्थानुकूला अमल भूषिथाङ्गं ।
भाविक लोकन्थरं अधि लिङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
सामप्रियं सोउम्य महेस लिङ्गं, समप्रधं सोउम्य कदक्ष लिङ्गं ।
वामङ्ग सोउन्दर्य विलोलिथाङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
पञ्चाक्षरी भूथ सहस्र लिङ्गं, पञ्चमृथ स्नान परयनाङ्गं ।
पञ्चमृथं भोज विलोल बृङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
वन्दे सुररधिथ पद पद्मं, श्री श्यमवल्ली रमणं महेसं ।
वन्दे महा मेरु सारसानां शिवं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
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