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ज्योतिष न्यूज़: सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं। इस दिन भक्त भगवान श्री शनिदेव की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु प्रसन्न होकर अपनी कृपा करते हैं और कष्टों को दूर कर देते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर हर शनिवार के दिन शनि पूजा के बाद प्रभु की आरती का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री शनि देव की संपूर्ण आरती पाठ।
श्री शनिदेव आरती
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
read shri shanidev aarti on every Saturday
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
॥ श्री शनि देव आरती-2 ॥
चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥
रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥
तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥
नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥