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धर्म-अध्यात्म
रोजाना पूजा के बाद करें ये काम, समस्त सुखों की होगी प्राप्ति
Tara Tandi
8 Jun 2023 1:36 PM GMT
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सनातन धर्म में ईश्वर आराधना को सर्वोत्तम माना गया हैं ऐसा करने से साधक पर देवी देवताओं की हमेशा कृपा बनी रहती हैं ऐसे में अधिकतर लोग रोजाना देवी देवताओं का ध्यान व पूजन करते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर देवी आराधना के बाद माता के चमत्कारी स्तोत्र का पाठ किया जाए तो लाभ मिलता हैं आप रोजाना पूजा पाठ के बाद नवरत्नमालिका स्तोत्रम् का विधिवत पाठ कर सकते हैं।
मान्यता है कि इस शक्तिशाली पाठ को करने से देवी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसती हैं जिससे साधक को जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैं अगर आपके पास वक्त की कमी हैं और आप रोजाना इस पाठ को नहीं कर सकते हैं तो आप चाहते शुक्रवार के दिन भी इस पाठ को करना उत्तम रहेगा। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, नवरत्नमालिका स्तोत्रम्।
नवरत्नमालिका स्तोत्रम्—
हारनूपुरकिरीटकुण्डलविभूषितावयवशोभिनीं
कारणेशवरमौलिकोटिपरिकल्प्यमानपदपीठिकाम् ।
कालकालफणिपाशबाणधनुरङ्कुशामरुणमेखलां
फालभूतिलकलोचनां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ १॥
गन्धसारघनसारचारुनवनागवल्लिरसवासिनीं
सान्ध्यरागमधुराधराभरणसुन्दराननशुचिस्मिताम् ।
मन्धरायतविलोचनाममलबालचन्द्रकृतशेखरीं
इन्दिरारमणसोदरीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ २॥
स्मेरचारुमुखमण्डलां विमलगण्डलम्बिमणिमण्डलां
हारदामपरिशोभमानकुचभारभीरुतनुमध्यमाम् ।
वीरगर्वहरनूपुरां विविधकारणेशवरपीठिकां
मारवैरिसहचारिणीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ३॥
भूरिभारधरकुण्डलीन्द्रमणिबद्धभूवलयपीठिकां
वारिराशिमणिमेखलावलयवह्निमण्डलशरीरिणीम् ।
वारिसारवहकुण्डलां गगनशेखरीं च परमात्मिकां
चारुचन्द्ररविलोचनां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ४॥
कुण्डलत्रिविधकोणमण्डलविहारषड्दलसमुल्लस-
त्पुण्डरीकमुखभेदिनीं च प्रचण्डभानुभासमुज्ज्वलाम् ।
मण्डलेन्दुपरिवाहितामृततरङ्गिणीमरुणरूपिणीं
मण्डलान्तमणिदीपिकां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ५॥
वारणाननमयूरवाहमुखदाहवारणपयोधरां
चारणादिसुरसुन्दरीचिकुरशेकरीकृतपदाम्बुजाम् ।
कारणाधिपतिपञ्चकप्रकृतिकारणप्रथममातृकां
वारणान्तमुखपारणां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ६॥
पद्मकान्तिपदपाणिपल्लवपयोधराननसरोरुहां
पद्मरागमणिमेखलावलयनीविशोभितनितम्बिनीम् ।
पद्मसम्भवसदाशिवान्तमयपञ्चरत्नपदपीठिकां
पद्मिनीं प्रणवरूपिणीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ७॥
आगमप्रणवपीठिकाममलवर्णमङ्गलशरीरिणीं
आगमावयवशोभिनीमखिलवेदसारकृतशेखरीम् ।
मूलमन्त्रमुखमण्डलां मुदितनादबिन्दुनवयौवनां
मातृकां त्रिपुरसुन्दरीं मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ८॥
कालिकातिमिरकुन्तलान्तघनभृङ्गमङ्गलविराजिनीं
चूलिकाशिखरमालिकावलयमल्लिकासुरभिसौरभाम् ।
वालिकामधुरगण्डमण्डलमनोहराननसरोरुहां
बालिकामखिलनायिकां मनसि भावयामि परदेवताम् ॥ ९॥
नित्यमेव नियमेन जल्पतां
भुक्तिमुक्तिफलदामभीष्टदाम् ।
शंकरेण रचितां सदा जपे-
न्नामरत्ननवरत्नमालिकाम् ॥ १०॥ (११)
॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्रजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ नवरत्नमालिका संपूर्णा ॥
Tara Tandi
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