धर्म-अध्यात्म

आज कर लें ये छोटा एक काम, संतोषी माता पूरी करेंगी हर कामना

Subhi
3 Jun 2022 1:37 AM GMT
आज कर लें ये छोटा एक काम, संतोषी माता पूरी करेंगी हर कामना
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शुक्रवार के दिन संतोषी माता की पूजा की परंपरा है. इस दिन भक्त विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं और व्रत रख उनकी कृपा पाते हैं. संतोषी माता को सुख, शांति और वैभव का प्रतीक माना गया है. ऐ

शुक्रवार के दिन संतोषी माता की पूजा की परंपरा है. इस दिन भक्त विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं और व्रत रख उनकी कृपा पाते हैं. संतोषी माता को सुख, शांति और वैभव का प्रतीक माना गया है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त शुक्रवार के दिन विधि-विधान से पूजा करता है और व्रत आदि रखता है मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. वहीं, सच्चे मन से व्रत करने से मां की कृपा पाप्त होती है.

धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां संतोषी की पूजा करने से धन और विवाह संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में पूजा के साथ-साथ आरती पढ़ने से विशेष लाभ होता है. आइए पढ़ते हैं मां संतोषी माता की आरती.

संतोषी माता की आरती

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ।

अपने सेवक जन की,

सुख सम्पति दाता ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

सुन्दर चीर सुनहरी,

मां धारण कीन्हो ।

हीरा पन्ना दमके,

तन श्रृंगार लीन्हो ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

गेरू लाल छटा छबि,

बदन कमल सोहे ।

मंद हंसत करुणामयी,

त्रिभुवन जन मोहे ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी,

चंवर दुरे प्यारे ।

धूप, दीप, मधु, मेवा,

भोज धरे न्यारे ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

गुड़ अरु चना परम प्रिय,

तामें संतोष कियो ।

संतोषी कहलाई,

भक्तन वैभव दियो ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

शुक्रवार प्रिय मानत,

आज दिवस सोही ।

भक्त मंडली छाई,

कथा सुनत मोही ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

मंदिर जग मग ज्योति,

मंगल ध्वनि छाई ।

विनय करें हम सेवक,

चरनन सिर नाई ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

भक्ति भावमय पूजा,

अंगीकृत कीजै ।

जो मन बसे हमारे,

इच्छित फल दीजै ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

दुखी दारिद्री रोगी,

संकट मुक्त किए ।

बहु धन धान्य भरे घर,

सुख सौभाग्य दिए ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

ध्यान धरे जो तेरा,

वांछित फल पायो ।

पूजा कथा श्रवण कर,

घर आनन्द आयो ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

चरण गहे की लज्जा,

रखियो जगदम्बे ।

संकट तू ही निवारे,

दयामयी अम्बे ॥

जय सन्तोषी माता,

मैया जय सन्तोषी माता ॥

सन्तोषी माता की आरती,

जो कोई जन गावे ।

रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,

जी भर के पावे ॥

जय सन्तोषी माता

मैया जय सन्तोषी माता ।

अपने सेवक जन की,

सुख सम्पति दाता ॥


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