धर्म-अध्यात्म

आज करें ये उपाय, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति

Tara Tandi
24 Jun 2023 8:39 AM GMT
आज करें ये उपाय, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति
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हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि चाहता हैं इसके लिए लोग प्रयास भी खूब करते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको परेशानियों ने घेर रखा हैं या फिर बिना बात समस्याएं गले पड़ रही हैं और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं।
तो ऐसे में हर शनिवार के दिन भगवान शनिदेव के मंदिर जाएं उनकी प्रतिमा के समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाकर भगवान की विधिवत पूजा करें इसके बाद दशरथकृत श्री शनि स्तोत्र का 11 बार पाठ करें अंत में अपनी प्रार्थना प्रभु से कहें। मान्यता है कि इस चमत्कारी उपाय को करने से हर परेशानी से छुटकारा मिल जाता हैं साथ ही साथ सुख समृद्धि व शांति का घर परिवार और जीवन में वास होता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री शनि स्तोत्र पाठ।
श्री शनि स्तोत्र-
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥
याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥
प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥
दशरथकृत शनि स्तोत्र:
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥
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