धर्म-अध्यात्म

अकाल मृत्यु से बचने के लिए करें यह उपाय, जानें शुभ मुहूर्त एवं महत्व

Subhi
12 Nov 2020 2:49 AM GMT
अकाल मृत्यु से बचने के लिए करें यह उपाय, जानें शुभ मुहूर्त एवं महत्व
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धनतेरस के दिन से ही दिवाली पर्व का प्रारंभ हो जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा तो होती ही है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | धनतेरस के दिन से ही दिवाली पर्व का प्रारंभ हो जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा तो होती ही है, इस दिन शाम के समय में यमराज को दीप दान किया जाता है। इसका भी अपना एक ​धार्मिक महत्व है। इसे यम दीपम, यमराज के लिए दीपदान या यम का दीपक नाम से जाना जाता है। यह हर वर्ष धनतेरस के शाम के समय में जलाया जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष धनतेरस के दिन यमराज के लिए दीपक जलाने का मुहूर्त और महत्व क्या है?

यम दीपम या यमराज के लिए दीपदान का मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 12 नवंबर को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है। ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर दिन शुक्रवार को है। इस साल धनतेरस पर यम दीपम का मुहूर्त शाम को 01 घंटा 20 मिनट का है। धनतेरस की शाम को 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक आपको यमराज के लिए दीपदान कर लेना चाहिए।

यमराज के लिए दीपदान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में एक दीपक मृत्यु के देवता यमराज के लिए जलाया जाता है। हमेशा इस दीपक को घर के बाहर ही जलाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और उस परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं।

इस बार धनतेरस के दिन आप भी शुभ मुहूर्त में यमराज के लिए दीपदान कर सकते हैं।

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