धर्म-अध्यात्म

आज बड़े मंगल पर करें ये उपाय प्रसन्न होंगे हनुमान

Tara Tandi
9 May 2023 10:34 AM GMT
आज बड़े मंगल पर करें ये उपाय प्रसन्न होंगे हनुमान
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सनातन धर्म में हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है। वही हफ्ते का दूसरा दिन यानी मंगलवार अंजनी के लाल हनुमान की पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं इस दिन भक्त हनुमान जी की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
आज यानी 9 मई दिन मंगलवार को ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगल है जिस कारण इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। ऐसे में आज अगर पूजा पाठ और दान पुण्य के साथ साथ श्री आंजनेय स्तोत्र का मन ही मन 21 बार जाप किया जाए तो प्रभु शीघ्र प्रसन्न हो जाएंगे और साधक को सुख समृद्धि व शांति का आशीर्वाद प्रदान करेंगे तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
श्री आंजनेय स्तोत्र—
महेश्वर उवाच ।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि स्तोत्रम् सर्वभयापहम् ।
सर्वकामप्रदं नॄणां हनूमत् स्तोत्रमुत्तमम् ॥ १ ॥
तप्तकाञ्चनसङ्काशं नानारत्नविभूषितम् ।
उद्यद्बालार्कवदनं त्रिनेत्रं कुण्डलोज्ज्वलम् ॥ २ ॥
मौञ्जीकौपीनसम्युक्तं हेमयज्ञोपवीतिनम् ।
पिङ्गलाक्षं महाकायं टङ्कशैलेन्द्रधारिणम् ॥ ३ ॥
शिखानिक्षिप्तवालाग्रं मेरुशैलाग्रसंस्थितम् ।
मूर्तित्रयात्मकं पीनं महावीरं महाहनुम् ॥ ४ ॥
हनुमन्तं वायुपुत्रं नमामि ब्रह्मचारिणम् ।
त्रिमूर्त्यात्मकमात्मस्थं जपाकुसुमसन्निभम् ॥ ५ ॥
नानाभूषणसम्युक्तं आञ्जनेयं नमाम्यहम् ।
पञ्चाक्षरस्थितं देवं नीलनीरदसन्निभम् ॥ ६ ॥
पूजितं सर्वदेवैश्च राक्षसान्तं नमाम्यहम् ।
अचलद्युतिसङ्काशं सर्वालङ्कारभूषितम् ॥ ७ ॥
षडक्षरस्थितं देवं नमामि कपिनायकम् ।
तप्तस्वर्णमयं देवं हरिद्राभं सुरार्चितम् ॥ ८ ॥
सुन्दरं साब्जनयनं त्रिनेत्रं तं नमाम्यहम् ।
अष्टाक्षराधिपं देवं हीरवर्णसमुज्ज्वलम् ॥ ९ ॥
नमामि जनतावन्द्यं लङ्काप्रासादभञ्जनम् ।
अतसीपुष्पसङ्काशं दशवर्णात्मकं विभुम् ॥ १० ॥
जटाधरं चतुर्बाहुं नमामि कपिनायकम् ।
द्वादशाक्षरमन्त्रस्य नायकं कुन्तधारिणम् ॥ ११ ॥
अङ्कुशं च दधानं च कपिवीरं नमाम्यहम् ।
त्रयोदशाक्षरयुतं सीतादुःखनिवारिणम् ॥ १२ ॥
पीतवर्णं लसत्कायं भजे सुग्रीवमन्त्रिणम् ।
मालामन्त्रात्मकं देवं चित्रवर्णं चतुर्भुजम् ॥ १३ ॥
पाशाङ्कुशाभयकरं धृतटङ्कं नमाम्यहम् ।
सुरासुरगणैः सर्वैः संस्तुतं प्रणमाम्यहम् ॥ १४ ॥
एवं ध्यायेन्नरो नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ।
प्राप्नोति चिन्तितं कार्यं शीघ्रमेव न संशयः ॥ १५ ॥
इत्युमासंहितायां आंजनेय स्तोत्र ।
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