धर्म-अध्यात्म

गुप्त नवरात्रि में करें यह उपाय, मिलेगा आरोग्य का वरदान

Bhumika Sahu
12 Jan 2023 2:22 PM GMT
गुप्त नवरात्रि में करें यह उपाय, मिलेगा आरोग्य का वरदान
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हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं इन्हीं में से एक नवरात्रि का भी पर्व होता है जो की मां दुर्गा की पूजा को समर्पित किया गया है साल में कुल मिलाकर चार नवरात्रि होती है जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है इस साल की पहली गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से आरंभ हो रही है और इसका समापन 30 जनवरी को होगा
ऐसे में पूरे नौ दिनों तक माता की आराधना व पूजा उत्तम संयोग बन रहा है इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ साथ अगर कीलक स्तोत्र का संपूर्ण पाठ किया जाए तो देवी मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करती है और कष्टों को दूर कर देती है मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से आरोग्य प्राप्ति का आशीर्वाद भी मिलता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है कीलक स्तोत्र का संपूर्ण पाठ।
विनियोगः- ॐ अस्य कीलकमंत्रस्य शिव ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्रीमहासरस्वती देवता श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः।।
ॐ नमश्चण्डिकायै
मार्कण्डेय उवाच-
ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे। श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे।।१।।
सर्वमेतद्विजानियान्मंत्राणामभिकीलकम्। सो-अपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः।।२।।
सिध्यन्त्युच्याटनादीनि वस्तुनि सकलान्यपि। एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति।। ३।।
न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते। विना जाप्येन सिद्ध्यते सर्वमुच्चाटनादिकम्।।४।।
समग्राण्यपि सिद्धयन्ति लोकशङ्कामिमां हरः। कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्।।५।।
स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः। समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावान्नियन्त्रणाम्।।६।।
सोअपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः। कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः।।७।।
ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति। इत्थंरूपेण कीलेन महादेवेन कीलितम।।८।।
यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्। स सिद्धः स गणः सोअपि गन्धर्वो जायते नरः।।9।।
न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते। नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्।।१०।।
ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति। ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः।।११।।
सौभाग्यादि च यत्किञ्चित्त दृश्यते ललनाजने। तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्।।१२।।
शनैस्तु जप्यमाने-अस्मिन स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः। भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्।।१३।।
ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः। शत्रुहानिः परो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः।।ॐ।।१४।।
इति श्री देव्याः कीलकस्तोत्रम सम्पूर्णम्।
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