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धर्म-अध्यात्म
हर शनिवार करें ये पाठ, शनि देव की कृपा बानी रहेगी दूर होंगे सरे कष्ट
Tara Tandi
29 April 2023 11:09 AM GMT
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आज शनिवार का दिन है और ये दिन भगवान शनि की पूजा आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। भक्त इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते है। लेकिन इसके साथ ही अगर शनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र का संपूर्ण पाठ पूरे मन से किया जाए तो शनिदेव जल्दी प्रसन्न होकर कृपा करते है और भक्तों के सभी कष्ट को दूर कर देते है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
शनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र—
शनि बीज मन्त्र – ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥
शनैश्चराय शान्ताय सर्वाभीष्टप्रदायिने ।
शरण्याय वरेण्याय सर्वेशाय नमो नमः ॥ १॥
सौम्याय सुरवन्द्याय सुरलोकविहारिणे ।
सुखासनोपविष्टाय सुन्दराय नमो नमः ॥ २॥
घनाय घनरूपाय घनाभरणधारिणे ।
घनसारविलेपाय खद्योताय नमो नमः ॥ ३॥
मन्दाय मन्दचेष्टाय महनीयगुणात्मने ।
मर्त्यपावनपादाय महेशाय नमो नमः ॥ ४॥
छायापुत्राय शर्वाय शरतूणीरधारिणे ।
चरस्थिरस्वभावाय चञ्चलाय नमो नमः ॥ ५॥
नीलवर्णाय नित्याय नीलाञ्जननिभाय च ।
नीलाम्बरविभूषाय निश्चलाय नमो नमः ॥ ६॥
वेद्याय विधिरूपाय विरोधाधारभूमये ।
भेदास्पदस्वभावाय वज्रदेहाय ते नमः ॥ ७॥
वैराग्यदाय वीराय वीतरोगभयाय च ।
विपत्परम्परेशाय विश्ववन्द्याय ते नमः ॥ ८॥
गृध्नवाहाय गूढाय कूर्मांगाय कुरूपिणे ।
कुत्सिताय गुणाढ्याय गोचराय नमो नमः ॥ ९॥
अविद्यामूलनाशाय विद्याऽविद्यास्वरूपिणे ।
आयुष्यकारणायाऽपदुद्धर्त्रे च नमो नमः ॥ १०॥
विष्णुभक्ताय वशिने विविधागमवेदिने ।
विधिस्तुत्याय वन्द्याय विरूपाक्षाय ते नमः ॥ ११॥
वरिष्ठाय गरिष्ठाय वज्रांकुशधराय च ।
वरदाभयहस्ताय वामनाय नमो नमः ॥ १२॥
ज्येष्ठापत्नीसमेताय श्रेष्ठाय मितभाषिणे ।
कष्टौघनाशकर्याय पुष्टिदाय नमो नमः ॥ १३॥
स्तुत्याय स्तोत्रगम्याय भक्तिवश्याय भानवे ।
भानुपुत्राय भव्याय पावनाय नमो नमः ॥ १४॥
धनुर्मण्डलसंस्थाय धनदाय धनुष्मते ।
तनुप्रकाशदेहाय तामसाय नमो नमः ॥ १५॥
अशेषजनवन्द्याय विशेषफलदायिने ।
वशीकृतजनेशाय पशूनाम्पतये नमः ॥ १६॥
खेचराय खगेशाय घननीलाम्बराय च ।
काठिन्यमानसायाऽर्यगणस्तुत्याय ते नमः ॥ १७॥
नीलच्छत्राय नित्याय निर्गुणाय गुणात्मने ।
निरामयाय निन्द्याय वन्दनीयाय ते नमः ॥ १८॥
धीराय दिव्यदेहाय दीनार्तिहरणाय च ।
दैन्यनाशकरायाऽर्यजनगण्याय ते नमः ॥ १९॥
क्रूराय क्रूरचेष्टाय कामक्रोधकराय च ।
कळत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमो नमः ॥ २०॥
परिपोषितभक्ताय परभीतिहराय ।
भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमो नमः ॥ २१॥
इत्थं शनैश्चरायेदं नांनामष्टोत्तरं शतम् ।
प्रत्यहं प्रजपन्मर्त्यो दीर्घमायुरवाप्नुयात् ॥
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