धर्म-अध्यात्म

सभी विपत्तियों से सुरक्षा के लिए रोजाना करें ये पाठ

Tara Tandi
8 May 2023 9:18 AM GMT
सभी विपत्तियों से सुरक्षा के लिए रोजाना करें ये पाठ
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सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है। वही देवी आराधना के लिए वैसे तो शुक्रवार का दिन उत्तम माना जाता है लेकिन अगर आप जीवन में सुख शांति चाहते हैं और सभी विपत्तियों से दूर रहना चाहते हैं।
तो ऐसे में रोजाना सुबह स्नान आदि करने के बाद देवी दुर्गा की विधिवत पूजा करें इसके बाद नवदुर्गा स्तोत्र का लगातार 21 बार जाप करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से सुरक्षा होती है और माता की कृपा सदा पूरे परिवार पर बनी रहती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है नव दुर्गा स्तोत्र पाठ।
नव दुर्गा स्तोत्र का पाठ करते वक्त कुछ नियमों का पालन जरूर करें इस चमत्कारी पाठ से पहले स्नान आदि करके खुद को शुद्ध करें इसके बाद माता रानी की विधिवत पूजा करें और घी का दीपक जलाएं फिर नव दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें। नियमों का पालन करते वक्त इस पाठ को करने से देवी मां अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती है।
नव दुर्गा स्तोत्र का पाठ करते वक्त कुछ नियमों का पालन जरूर करें इस चमत्कारी पाठ से पहले स्नान आदि करके खुद को शुद्ध करें इसके बाद माता रानी की विधिवत पूजा करें और घी का दीपक जलाएं फिर नव दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें। नियमों का पालन करते वक्त इस पाठ को करने से देवी मां अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती है।
नव दुर्गा स्तोत्र—
शैलपुत्री
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां ।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यां अक्षमाला कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
चन्द्रघण्टा
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
कूष्माण्डा
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
स्कन्दमाता
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
कात्यायनी
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
कालरात्री
एकवेणी जपाकर्णपूर नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्ध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
महागौरि
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ॥
सिद्धिदात्री
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात्सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
इति श्री नवदुर्गा स्तोत्र पूर्ण
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